Ayodhya News: 'विपन्न समूह के अर्थशास्त्र एवं डॉ. अम्बेडकर के विचार' विषय पर लोहिया यूनिवर्सिटी में सेमिनार

Ayodhya News: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में ’विपन्न समूह के अर्थशास्त्र एवं डॉ. अम्बेडकर के विचार’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

Report :  NathBux Singh
Update:2022-12-06 21:09 IST

लोहिया यूनिवर्सिटी में सेमिनार

Ayodhya News: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अम्बेडकर चेयर एवं अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 66वीं पुण्य तिथि के अवसर पर 'विपन्न समूह के अर्थशास्त्र एवं डॉ. अम्बेडकर के विचार' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

डॉ. अम्बेडकर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता: कुलपति

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने कहा कि समाज के विपन्न वर्ग के लोगों के जीवन स्तर को उठाने और समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने में डॉ. अम्बेडकर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने आर्थिक समता मूलक विकास की परिकल्पना को मूर्त रुप दिया है। डॉ. अम्बेडकर के आर्थिक विचार आज भी प्रासंगिक है। क्योंकि उन्होंने आर्थिक मूल्यों को व्यावहारिक जीवन में अपनाये है। कुलपति प्रो. गोयल ने बताया कि विश्वविद्यालय के लिए यह गौरव की बात है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत आर्थिक विशेषता आधारित अम्बेडकर शोध पीठ की स्थापना की गई। इसमें समाज के अंतिम पायदान पर स्थित व्यक्ति भी डॉ. अम्बेडकर पर शोध परक अध्ययन-अध्यापन कर सकता है। कुुलपति ने कहा कि वर्तमान सरकार की आर्थिक समरसता की नीति एवं आर्थिक समाजवाद के लक्ष्य को प्राप्त करने में डॉ. अम्बेडकर के विचार निश्चित रूप से आधार स्तम्भ का कार्य करेंगे।

समाज के गरीब वर्ग के लिए आय एवं सम्पत्ति का समान वितरण अति आवश्यक: प्रो. ए.डी. एन. वाजपेयी

राष्ट्रीय सेमिनार के मुख्य अतिथि अटल विहारी वाजपेयी केन्दीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. ए.डी. एन. वाजपेयी ने कहा कि समाज के गरीब वर्ग के लिए आय एवं सम्पत्ति का समान वितरण अति आवश्यक है। यदि हमें समरसता आधारित आर्थिक समाजवाद को लाना है तो डॉ. अम्बेडकर के विचार आधारित आर्थिक नीतियों को अवश्य अनुपालित करना होगा। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. राशि कृष्ण सिन्हा, पूर्व विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र, डॉ. शकुन्तला मिश्रा पुर्नवास विश्वविद्यालय, लखनऊ ने डॉ. अम्बेडकर के सम्पत्ति के समान वितरण के सिद्धान्त, रूपया की समस्या, कृषि श्रम की समस्या आदि तथ्यों पर बोलते हुए कहा कि यदि हम समाज के गरीब वर्ग का उत्थान चाहते है तो हमें धन के सकेन्द्रण की समस्या को पूर करना होगा।

विशिष्ट अतिथि देवी आहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर मध्य प्रदेश के प्रो. ज्ञान प्रकाश ने अम्बेडकर की मौद्रिक नीति का सामान्य जन पर प्रभाव विषय पर अपना उद्बोधन दिया। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रो. एन. एम. पी. वर्मा ने डॉ. अम्बेडकर के कृषि आधारित विचारों को भूमि वितरण के आधार पर विश्लेषित करते हुए अम्बेडकर चेयर में आर्थिक विशेषज्ञ आधारित सुविधाएं उपलब्ध कराने का विचार प्रस्तुत किया। सेमिनार के विशिष्ट अतिथि प्रो. पी. के. सिन्हा, पूर्व कुलपति, अवध विश्वविद्यालय ने बताया कि डॉ. अम्बेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम समाज के विपन्न लोगो को रोजगार एवं आय के समान अवसर प्रदान करने में अपना सहयोग प्रदान करें। भारतीय आर्थिक संध के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. अंग्रेज सिंह राना ने डॉ. अम्बेडकर के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। जेएनयू नई दिल्ली अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शक्ति कुमार ने डॉ. अम्बेडकर के आर्थिक समाजवाद को बहुत ही अच्छे तरीके से विश्लेषित किया।

30 शोधपत्र प्रतिभागियों एवं शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए: प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव

अम्बेडकर चेयर के समन्वयक तथा विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अम्बेडकर विषयक उक्त राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य एवं विशिष्ट वक्ताओं के अतिरिक्त लगभग 30 शोधपत्र प्रतिभागियों एवं शोधार्थियो द्वारा प्रस्तुत किए गए। राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. अलका श्रीवास्तव एवं संयोजक डॉ. सरिता द्विवेदी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।

संगोष्ठी तकनीकी सत्र में इन्होंने विचार किए प्रस्तुत

संगोष्ठी तकनीकी सत्र में डॉ. रश्मि सिंह, डॉ. दरक्षा, डा. सुनील त्रिपाठी, प्रो. आशुतोष सिन्हा, प्रो. शैलेन्द्र कुमार, प्रो. मृदुला मिश्रा, डा. दिनेश सिंह, प्रो. राजीव गौड, प्रो. आर.के. तिवारी, प्रो. आर.के. सिंह, प्रो. गोरेलाल प्रजापति, डॉ. अलका श्रीवास्तव, आशीष प्रजापति व कविता पाठक ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

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