breastfeeding week 2018 : प्रथम स्तनपान बच्चे को बनाता है दीर्घजीवी और निरोग
लखनऊ : विश्व स्तनपान सप्ताह की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तरप्रदेश मुख्यालय में एक कार्यक्रम का हुआ, इस कार्यक्रम में सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण वी. हेकाली झिमोमी ने यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि उत्तरप्रदेश में औसतन 25 प्रतिशत बच्चे जन्म के एक घंटे के अंदर मां का स्तनपान नहीं कर पा रहे हैं जबकि मां के प्रथम दूध में मौजूद पोषक तत्व और एंटीबॉडी बच्चे को दीर्घजीवी और निरोग बनाने में यह 'प्रथम टीके' की तरह कार्य करते हैं। जन्म के प्रथम घंटे में स्तनपान से वंचित बच्चों में बीमारी की संभाव्यता अधिक होती है और उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है।
झिमोमी ने कहा, मां को जन्म के बाद उन महत्वपूर्ण मिनटों में स्तनपान कराने के लिए चिकित्सा विभाग के कर्मियों और परिवारीजनों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता है। प्रसव के उपरान्त देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से समुदाय और स्वास्थ्य इकाई दोनों स्तरों पर स्तनपान कराने के प्रचार कार्य में सक्रियता जारी है। राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों के साथ साझेदारी में स्वास्थ्य इकाई स्तर पर प्रत्येक नवजात को स्तनपान कराने के लिए एक राज्यव्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार - एनएफएचएस -4 2015-16, जिला गोंडा (13.3ः), मेरठ (14.3ः), बिजनौर (14.7ः), हाथरस (15.3ः), शाहजहांपुर (15.8ः) सबसे कम है। राज्य में ससमय स्तनपान कराने की शुरुआत की दर- बुंदेलखंड के तीन जिलों - महोबा (42.1ः), बांदा (41ः) और ललितपुर (40ः) अन्य जिलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डा. अनिल कुमार वर्मा ने बताया कि एनएचएम के प्रदेश में स्तनपान के प्रचार के लिए मां (मदर्स एब्सल्यूट अफेक्शन) के नाम से एक कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है ताकि स्तनपान को स्वास्थ्य इकाई और समुदाय दोनों स्तर पर बाल अस्तित्व के लिए प्राथमिक व्यवहार हो सके। राज्य ने सभी 75 जिलों में प्रशिक्षकों का एक पूल बनाया है और कार्यक्रम स्केलिंग धीरे-धीरे प्रगति पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 76 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह पता चलता है कि शीघ्र स्तनपान कराने की शुरुआत के महत्व के बावजूद, कई नवजात शिशु अलग-अलग कारणों से बहुत लंबे समय तक इंतजार कर रहे हैं, जिनमें निम्न शामिल हैंः
नवजात शिशुओं के भोजन या पेय को तैयार करना, आम प्रथाओं, जैसे कोलोस्ट्रम को छोड़ना
नवजात शिशु को खिलाने वाले बुजुर्ग द्वारा दिया जाने वाला एक विशेष तरल, जैसे चीनी पानी का घोल देना,
उसके साथ नवजात शिशु के मां से पहले महत्वपूर्ण संपर्क में देरी
माताओं और नवजात बच्चों को प्रदान की जाने वाली देखभाल की गुणवत्ता में अंतरः 2005 और 2017 के बीच 58 देशों में, स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव 18 प्रतिशत अंक बढ़ गया, जबकि शुरुआती दीक्षा दर 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
कई मामलों में, जन्म के तुरंत बाद बच्चों को उनकी मां से अलग किया जाता है और स्वास्थ्य कर्मियों से मार्गदर्शन सीमित होता है।
अपर मिशन निदेशक श्री निखिल चन्द्र शुक्ल ने कहा कि रिपोर्ट में उद्धृत किए गए पहले के अध्ययनों से पता चलता है कि जिन नवजात शिशुओं ने जन्म के दो से 23 घंटे के बीच स्तनपान शुरू किया था, उनमें जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करने वालों की तुलना में मृत्यु का 33ः अधिक जोखिम था। जन्म के बाद एक दिन या उससे अधिक स्तनपान कराने वाले नवजात बच्चों में, जोखिम दो गुना से अधिक था।रिपोर्ट में सरकारों, दाताओं और अन्य निर्णय निर्माताओं से शिशु फार्मूला और अन्य स्तनपान विकल्पों के विपणन को प्रतिबंधित करने के लिए मजबूत कानूनी उपायों को अपनाने का आग्रह किया गया है।