नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद BSP डैमेज कंट्रोल में जुटी

Update:2017-05-16 18:54 IST
नसीमुद्दीन को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद BSP कर रही डैमेज कंट्रोल की कोशिश

लखनऊ: कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश में है। पार्टी में अब तक सिद्दीकी को ही अल्पसंख्यक समाज का अगुवा नेता माना जाता था। उनके बाद विकल्प के तौर पर पार्टी सुप्रीमो मायावती ने डॉ. एमएच खान और अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू को आगे किया है।

अभी हाल ही में डॉ. खान को मीडिया में टेबल चर्चा के लिए नामित किया गया था। मायावती ने अपने इसी आदेश को पलटते हुए अब उन्हें लखनऊ महानगर में मुस्लिम समाज को बसपा से जोड़ने का काम दिया है।

नीतिगत मामलों में हाईकमान ही स्थिति करेगी साफ

भले ही बसपा ने फैजान और उम्मेद सिंह को पार्टी की ओर से मीडिया में टेबल चर्चा के लिए अधिकृत किया है। पर नीतिगत मामलों में पार्टी की केंद्रीय यूनिट यानि हाईकमान द्वारा ही पार्टी लाइन स्पष्ट किया जाएगा। पार्टी के नए निर्देशों में यह भी कहा गया है, कि यह नेता सर्वसमाज के जनहित से जुड़े मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे।

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बसपा की नीति व सिद्धांत उसकी कार्यशैली में है

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बसपा से निष्कासन के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर साफ कहा था कि उन्होंने मायावती को बताया कि पार्टी अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी नहीं करती है। इसका असर भी चुनावों पर पड़ा। इसका जवाब देते हुए मायावती ने मंगलवार (16 मई) को एक बयान जारी कर कहा, कि 'बसपा की नीति व सिद्धांत उसकी कार्यशैली (कर्मों) में ज्यादा निहित है। यही कारण है कि पार्टी लोक लुभावन घोषणा-पत्र चुनाव में जारी नहीं करती है, बल्कि सरकार बनने पर काम करके दिखाती है। चुनावी घोषणा पत्र जारी करने में बसपा अपने पुराने स्टैंड पर ही कायम है।'

बसपा में हर धर्म, वर्ग, समाज की भागीदारी है

मायावती ने कहा, कि 'बसपा में हर धर्म, वर्ग, समाज व महिला, युवा वर्ग की भागीदारी है, जिस कारण इन वर्गों के लिए अलग से संगठन बनाने की जरूरत कभी महसूस नहीं की गई। जमीनी स्तर से लेकर आगे की हर कमेटी में लगभग 50 प्रतिशत भागीदारी युवा और महिला वर्ग को दिया जाता रहा है।'

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