औद्योगिक क्रांति के बाद भी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़: प्रो वैशम्पायन
बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन द्वारा करगुंवाजी स्थित विश्वविद्यालय के जैविक कृषि शोध प्रक्षेत्र का भ्रमण किया तथा प्रक्षेत्र में कार्य कर रहे छात्र-छात्राओं, शोधछात्रों व शिक्षकों से उनके शोध के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की। छात्रों द्वारा कृषि फार्म पर किए जा रहे कृषि प्रयोगात्मक कार्य के लिए कुलपति संतुष्ट एवं उत्साहित दिखे।
झाँसी: बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन द्वारा करगुंवाजी स्थित विश्वविद्यालय के जैविक कृषि शोध प्रक्षेत्र का भ्रमण किया तथा प्रक्षेत्र में कार्य कर रहे छात्र-छात्राओं, शोधछात्रों व शिक्षकों से उनके शोध के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की। छात्रों द्वारा कृषि फार्म पर किए जा रहे कृषि प्रयोगात्मक कार्य के लिए कुलपति संतुष्ट एवं उत्साहित दिखे। उन्होंने छात्र-छात्राओं को अधिक से अधिक मेहनत करके बिना अवकाश लेकर कार्य करने को प्रेरित किया।
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़
शोध प्रक्षेत्र का भ्रमण करने के पश्चात प्रक्षेत्र में कार्य कर रहे छात्र-छात्राओं, शोधछात्रों व शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए अपने व्याख्यान में कुलपति प्रो.वैशम्पायन ने कहा कि देश में औद्योगिक क्रांति तथा तकनीकी विकास के बाद भी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है तथा यह एक अकाट्य सत्य है कि हम कितनी भी प्रगति कर ले परन्तु अभी भी हमें भोजन प्राप्ति के लिए कृषि ओर किसान का ही सहारा लेना पडता है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान परिस्थितियों में आज अधिकतर युवाओं का कृषि से मोह भंग हो रहा है और वे इस क्षेत्र को छोडकर अन्य सेवा क्षेत्रों मे रोजगार हेतु प्रयास कर रहे है।
युवाओं को कृषि की ओर आकृष्ट किया जाए
प्रो.वैशम्पायन के कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि युवाओं को कृषि की ओर आकृष्ट किया जाय ताकि वे स्वयं तो रोजगार प्राप्त करेंगे ही साथ ही अन्य कई व्यक्तियेां को भी रोजगार प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी अन्य वस्तु के बिना तो कार्य चल सकता है क्योंकि उनका विकल्प उपलब्ध है परन्तु मानवच के भोजन का कृशि से प्राप्त उपज के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प मौजूद नही है। कुलपति ने उपस्थित छात्र-छात्राओं का आव्हान किया कि वे सिर्फ किताबी ज्ञान लेकर विश्वविद्यालय से न जाये बल्कि इस क्षेत्र का व्यावहारिक एवं प्रयोगात्मक ज्ञान प्राप्त करें तभी वेजीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है।
विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पद्रान करे
कुलपति ने शिक्षको को सम्बोधित करते हुए कहा कि सीमित संसाधनो होने के बाद भी यह हमारा उत्तरदायित्व है कि हम अपने विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पद्रान करे ताकि भविष्य में संस्थान एवं विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर सकें। इस अवसरपर कुलपतिने कहा कि कृषि के छात्रों तथा शोध प्रक्षेत्र की जो भी समस्याएं होगी विश्वविद्यालय स्तर से उनको शीघ्र दूर करने का प्रयास किया जायेगा।
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इन विषयों पर लघु शोध कार्य
आज के कार्यक्रम के प्रारम्भ में विश्वविद्यालय के जैविक कृषि शोध प्रक्षेत्र के प्रभारी डा.सन्तोष पाण्डेय ने कुलपति का स्वागत करते हुए फाम्र में किये जा रहे विभिन्न कार्यो के बारे म जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जैविक कृषि शोध प्रक्षेत्र में उद्यान विभाग के सहायक आचार्य डा.हरपाल सिंह एवं डा.जय नारायण तिवारी के मार्गदर्शन में ग्लेडियोलस, स्ट्रॉबेरी, ब्रोकली, गांठ गोभी व अन्य फल सब्जियों पर एम.एस.सी कृषि उद्यानके छात्र छात्राओं का लघुशोध कार्य विश्वविद्यालय चल रहा है जबकि एंटोंमोलॉजी, पादप विज्ञान, मृदा विज्ञान, बीज प्रौद्योगिकी, पादप प्रजनन एवं अनुवांशिकी विषयों पर लघु शोध कार्य सुचारू रूप से कराए जा रहे हैं।
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जैविक कृषि शोध प्रक्षेत्र पर सिंचाई हेतु फार्म प्रभारी डा.सन्तोष पाण्डेय द्वारा एक नया ट्यूबवेल बोर लगवाने का निवेदन किया गया जिससे फार्म पर सिंचाई की समस्या पूर्णता समाप्त हो जाएगी, कुलपति द्वारा शीघ्र ही समस्या के समाधान हेतु आश्वस्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ संतोष पांडे द्वारा किया गया जबकि अंत में डॉ अवनीश दुबे द्वारा कुलपति का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में में डॉ.अशोक कुमार, डॉ॰ प्रदीप बरेलिया, अनिल पाटीदार, सुरेन्द्र कुशवाहा, अवनीश कुमार, बृजेंद्र अहिरवार, मायाबीसेन, अजय कुशवाहा, सलोनी श्रीवास्तव सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।