बड़ा खुलासा! CAA के खिलाफ हुई हिंसा में शामिल था ये संगठन, अब बैन करेगी सरकार

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शन में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका सामने आने आई है। अब इस खुलासे के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने संगठन को बैन करने की तैयारी शुरू कर दी है।

Update: 2019-12-28 13:21 GMT

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शन में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका सामने आने आई है। अब इस खुलासे के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने संगठन को बैन करने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य की खुफिया आकलन रिपोर्ट में खुलासा हुआ है प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में पीएफआई की भी भूमिका थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक योगी सरकार पीएफआई पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है। मिली जानकारी के मुताबिक गृह विभाग इस मामले में प्रस्ताव बना रहा है। प्रदेश में प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के कई मामलों में पीएफआई नेताओं के खिलाफ सबूत मिले हैं। अब तक पीएफआई के लगभग 20 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

इनमें पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया का प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन भी शामिल हैं। इसके अलावा राजधानी लखनऊ में पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश संयोजक वसीम अहमद समेत अन्य पदाधिकारियों को शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी करने के मामले में गिरफ्तार किया था।

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तो वहीं पीएफआई के केंद्रीय नेतृत्व का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार संगठन को झूठे आरोप में फंसा रही है है। पीएफआई ने कहा है कि लखनऊ पुलिस द्वारा गिरफ्तार अहमद की आगजनी या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में कोई भूमिका नहीं थी।

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पीएफआई के एक पदाधिकारी ने कहा कि ये गिरफ्तारियां इन जन-आंदोलनों को दबाने और उन्हें आतंकवादी घटना के तौर पर पेश करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा हैं।

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बता दें कि यूपी में हिंसा के दौरान प्रदेश में 21 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 400 लोग घायल हुए थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित पश्चिमी उत्तर प्रदेश रहा था, जहां आगजनी, गोलीबारी और सरकारी संपत्ति नष्ट करने के मामले में 318 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

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