आईए जानें किन-किन पुस्तकों का विमोचन किया सीएम योगी आदित्यनाथ ने

मुख्यमंत्री आज यहां उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में युग प्रवर्तक महायोगी गोरखनाथ पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए महायोगी गोरखनाथ जी ने योग को आवश्यक बताया था। योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

Update:2023-06-11 13:05 IST

लखनऊ: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ एक महान सिद्ध योगी एवं विद्वान मनीषी थे। योग साधना और तपस्या में तत्पर होकर उन्होंने जनमानस में योग ज्ञान के प्रति प्रगाढ़ अभिरुचि उत्पन्न की थी। आध्यात्मिक उन्नयन के उद्देश्य से गुरु गोरखनाथ ने संस्कृत और लोकभाषा में योगपरक साहित्य का सृजन किया था।

मुख्यमंत्री आज यहां उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में युग प्रवर्तक महायोगी गोरखनाथ पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए महायोगी गोरखनाथ जी ने योग को आवश्यक बताया था। योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

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शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ एक महान सिद्ध पुरुष थे

तन-मन को स्वस्थ रखने एवं सुखानुभूति के साथ जीवन-यापन का ‘योग’ अमोघ मंत्र है। स्वस्थ जीवन के लिए शुद्धि अत्यन्त आवश्यक है। यह शुद्धि आन्तरिक एवं वाह्य दोनों होनी चाहिए। शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ एक महान सिद्ध पुरुष होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने सदैव सामाजिक कुरीतियों और धार्मिक आडम्बरों का विरोध किया था।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शची मिश्र की ‘भोजपुरी के संस्कार गीत’, डॉ0 कृष्णचन्द्र लाल की ‘देवेन्द्र कुमार बंगाली’, डॉ0 ओम प्रकाश पाण्डेय की ‘वैदिक वांग्मय का परिशीलन’, डॉ0 कन्हैया सिंह की ‘रामचरित उपाध्याय ग्रंथावली’ तथा डॉ0 रामकृष्ण की ‘अथातो भक्ति जिज्ञासा’ पुस्तकों का विमोचन भी किया।

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हिन्दी भाषा और उसकी उत्पत्ति में गुरु गोरखनाथ की रचनाओं का स्थान सर्वश्रेष्ठ है

मुख्यमंत्री ने कहा कि देष की ऐसी कोई भाषा नहीं, जिसमें गोरखनाथ से सम्बन्धित कथाएं न पायी जाती हों। महायोगी गोरखनाथ भोजपुरी एवं हिन्दी के आदि कवि हैं। हिन्दी भाषा और उसकी उत्पत्ति में गुरु गोरखनाथ की रचनाओं का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। उनके द्वारा रचित गोरक्षकल्प, गोरक्षसंहिता, गोरक्षशतक, गोरक्षगीता, योगमार्तण्ड आदि कृतियां हमारे साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ भारतीय धर्मसाधना एवं साहित्य के अप्रतिम व्यक्तित्व हैं। उनके द्वारा प्रवर्तित एवं संघटित ‘नाथ-सम्प्रदाय’ का हिन्दूकुश एवं हिमालय की गोद में समुद्र पर्यन्त बसे भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश के साथ-साथ चीन, मंगोलिया, तिब्बत, जापान एवं पूर्वी द्वीप समूह में व्यापक प्रभाव रहा है।

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अपने युग में एक व्यापक सामाजिक-आध्यात्मिक एवं धार्मिक क्रान्ति को जन्म देने वाले महायोगी गोरखनाथ ने लोक-कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा महायोगी गुरु गोरखनाथ जैसी दिव्य विभूति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाना अत्यन्त सराहनीय है।

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