लखनऊ: चकबंदी आयुक्त के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी डाॅॅ. हरिओम पर बुधवार को हमला हुआ। कर्मचारियों ने पहली बार हमला नहीं किया है, बल्कि पिछले वर्ष इसी पद पर तैनात रहे आईएएस मुरलीधर दुबे पर भी हमला हो चुका है। उस समय भी ट्रांसफर सीजन चल रहा था और आज भी।
आईएएस मुरलीधर को अभी तक न्याय नहीं मिल सका है। ताज्जुब है कि इस मामले में अब तक एफआईआर तक दर्ज नहीं हो सकी है।
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एफआईआर तक नहीं हुई दर्ज, हमला करने वाले भी हो चुके हैं बहाल
-बीते साल 22 मई को कुछ लिपिकीय संवर्ग के लोगों ने चकबंदी आयुक्त कार्यालय पर सांकेतिक धरना शुरू किया था।
-तत्कालीन आयुक्त ने इनमें से 4 से 5 लोगों को मिलने के लिए बुलाया तो उनके कक्ष में एकाएक 50 कर्मचारी घुस गए और उनके साथ अभद्रता की।
-तब किसी तरह उन्हें कार्यालय से सुरक्षित बाहर निकाला गया था।
-इस दुस्साहस के आरोप में वरिष्ठ सहायक नरेन्द्र सिंह और कनिष्ठ सहायक राजेन्द्र कुमार सक्सेना को निलम्बित कर दिया गया था।
-अब वह बहाल हो चुके हैं। विभागीय जानकारों के मुताबिक अभी तक इस प्रकरण की जांच पूरी नहीं हो सकी है।
-इस घटना के बारे में डीएम से लेकर एसएसपी सबको पत्र लिखा गया। पर अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है।
आईएएस मुरलीधर को उस समय भी इन्हीं अनुसेवकों ने बचाया था
-मजे की बात यह है कि उस समय भी इन्हीं अनुसेवकों राजकुमार सिंह व राम किशुन ने आईएएस मुरलीधर दुबे को बचाया था।
-अब भी इन्हीं अनुसेवकों ने मामले की एफआईआर दर्ज कराई है।