Jhansi News: डीआरएम साहब, यह कब तक चलेगा? रेलवे अफसरों को मूकदर्शक बनाकर सालों से ठेकेदार का कब्जा
Jhansi News: पश्चिम रेलवे कालोनी में गरियामार्ग के पास रेलवे की जमीन है। इस जमीन पर सालों से रेलवे का ठेकेदार अतिक्रमण किए हुए हैं। कई एकड़ जमीन को ठेकेदार ने अपने कब्जे में ले रखी हैं।
Jhansi News: डीआरएम साहब, एक साल से ज्यादा समय बीत चुका है मगर पश्चिम कालोनी में स्थित गरियामार्ग के मध्य सालों से रेलवे का ठेकदार जमीन पर अतिक्रमण किए हुए हैं। वहां बनी झोपड़ी में ठेकेदार के आदमी निवास कर रहे हैं। इन्हें पानी व बिजली सुविधाएं कराई जा रही हैं। इससे प्रतीत होता है कि रेलवे ठेकेदार द्वारा रेलवे को चूना लगाया जा रहा है। इसकी जानकारी यहां के अफसरों को अच्छी तरह से है मगर मूकदशर्क बने हुए हैं।
पश्चिम रेलवे कालोनी में गरियामार्ग के पास रेलवे की जमीन है। इस जमीन पर सालों से रेलवे का ठेकेदार अतिक्रमण किए हुए हैं। कई एकड़ जमीन को ठेकेदार ने अपने कब्जे में ले रखी हैं। वह पर दर्जनों झोपड़ी पट्टी बनी हुई है। साथ ही एक गेट भी लगाया गया है।
झोपड़ पट्टी में बिजली और पानी की अच्छी सुविधाएं दी जा रही हैं। इसकी जानकारी रेलवे के अफसरों को अच्छी तरह से है मगर ठेकेदार के आगे यह अफसर नतमस्तक बने हुए हैं।
लोगों का कहना है कि इन झोपड़ पट्टी में ठेकेदार के मजदूर ही निवास करते हैं। सालों से वहां पर झोपड़ी बनी हुई है। आए दिन आरपीएफ व कार्य निरीक्षक द्वारा वहां पहुंचकर ठेकेदार से वार्तालाप की जाती हैं। इसके बाद यह लोग वापस आ जाते हैं।
वहीं, दूसरी तरफ रेलमंत्री के आदेश के तहत रेलवे कालोनी में कब्जाधारियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा हैं। कई लोगों से रेलवे आवास भी खाली कराए गए हैं, मगर कई एकड़ की जमीन पर जमे अतिक्रमण को क्यों नहीं हटाया जा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि इंजीनियरिंग विभाग के अफसरों की रेलवे ठेकेदार से सांठगांठ बनी हुई है।
नहीं बना है राशन कार्ड
एक महिला ने बताया कि अपना खुद का घर नहीं। रेलवे की जमीन पर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। मजदूरी कर अपना परिवार चला रहे हैं। आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बन गया है लेकिन राशन कार्ड नहीं बना है। कई माह बीत चुका है, अब तक राशन कार्ड नहीं बना है।
हम लोग खुद करते रहे हैं सफाई
झोपड़ पट्टी में रहने वाले लोगों का कहना है कि कालोनी में हर जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। दुर्गध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। साफ सफाई की स्थिति यहां काफी बदतर है। महिलाओं का कहना है कि यहां की सफाई खुद करते हैं।