कोरोना सामग्री घोटाला: 115 ग्राम पंचायतों से गायब हुई धनराशि, मचा हड़कंप
बाराबंकी में कोविड 19 की रोकथाम के लिए जो सामग्री की खरीद की गयी और उसमें जो बंदरबांट की गई उसकी परतें अब धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं।
बाराबंकी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा में अवसर ढूँढने की बात जनता से की थी। जनता तो आपदा में अवसर नही ढूंढ़ पायी लेकिन अधिकारियों ने इसे अवसर और उत्सव दोनों रूप अपना लिया। ग्राम पंचायतों में कोरोना की सामग्री खरीदने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने आवश्यकता से अधिक धनराशि निकाल ली और प्रधानों को इसकी जानकारी भी नहीं होने दी। कोरोना की सामग्री खरीद घोटाले की अगर निष्पक्षता से जांच की जाए तो बड़े-बड़े नाम सामने आ सकते हैं। जिम्मेदार अधिकारी 28 सौ रुपये की खरीददारी की बार कहते हैं मगर खाते 11 हज़ार से ज्यादा की रकम निकाली जाती है इस पर चुप्पी साध लेते हैं। यह पूरा काम हुआ है मुख्यमंत्री की नाक के नीचे अर्थात राजधानी के सबसे करीबी जिले बाराबंकी में।
अधिकारियों ने किया बंदरबांट, प्रधानों को नहीं लगी भनक
बाराबंकी में कोविड 19 की रोकथाम के लिए जो सामग्री की खरीद की गयी और उसमें जो बंदरबांट की गई उसकी परतें अब धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं। अगर आँकड़ों और प्रधानों की बात को सही मानें तो ग्राम पंचायतों में जिस प्रकार से खरीद हुई उसके बाद अधिकारियों ने बड़ी धनराशि का बंदरबांट किया है। वरना क्या कारण था कि प्रधानों से पंचायत के खाते से पैसा निकाल लिया गया और उन्हें कितनी धनराशि खर्च हुई इसकी भनक भी नही लगने दी।
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आंकड़ों पर नजर डालें तो 115 से ज्यादा ग्राम पंचायतों के खाते से जो रकम निकाली गयी उससे सन्देह पैदा होता है। ग्राम प्रधानों ने यह भी बताया कि जबसे डोंगल के माध्यम से पैसा निकाला जाने लगा है। तबसे उन्हें पता ही नहीं होता और अधिकारी इसका लाभ लेते हैं। कहीं-कहीं ग्राम प्रधान अनपढ भी होते हैं जो सीधे अधिकारियों पर ही आश्रित होते हैं।
प्रधानों के अपनपढ़ होने का अधिकारी उठा रहे फायदा
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विकासखंड देवा के अजगना गाँव के ग्राम प्रधान ओम प्रकाश ने बताया कि पंचायतों को खरीददारी करने का अधिकार नहीं था और न खरीदने दिया गया। हां उन्हें कुछ सामान अवश्य मिला था जो ग्राम वासियों में उनके द्वारा बाँट दिया गया। सामान बंट जाने के बाद एडीओ पंचायत और ग्राम सचिव ने बताया कि उन्हें 11720 रुपया अपने पंचायत के खाते से देना है और डोंगल लगा कर उस धनराशि को निकाल लिया गया।
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दिए गए समान की कीमत क्या है यह उन्हें नहीं बताया गया। सिर्फ कुल धनराशि का हवाला देकर पैसे निकाल लिए गए और एक बिल पर हस्ताक्षर करवा लिए गए। इसी गांव में लोगों का टेम्परेचर चेक कर रही आशा बहू अंजना वर्मा ने बताया कि वह घर-घर जाकर लोगों के टेम्परेचर चेक कर रहीं हैं और उनके यहाँ अब तक कोई मरीज नही मिला है । उन्हें टेम्परेचर चेक करने की मशीन और पल्स चेक करने की मशीन दी गयी है और वह अपना काम पूरी निष्ठा के साथ कर रही हैं।
अब क्या एक्शन लेंगे सीएम योगी
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हद तो तब हो गयी जब हम इस कथित घोटाले की जानकारी लेने बाराबंकी के डीपीआरओ रणविजय सिंह के पास पहुंचे। डीपीआरओ ने इस पर किसी प्रकार की जानकारी देने से इंकार कर दिया। बहुत कुरेदे जाने पर उन्होंने बताया कि समस्त ग्राम पंचायतों में 28 सौ रुपये के कोरोना की रोकथाम हेतु सामग्री क्रय की गई है और सभी पंचायतों को खरीदे गए सामान उपलब्ध भी करवाये गए हैं। 28 सौ रुपये की धनराशि ग्राम पंचायतों के खातों से ग्राम प्रधान के सहयोग से निकाले गए हैं।
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इसमें अलग से कोई बजट नही आया था। कागजों के आँकड़े और ग्राम प्रधानों की बातों को अगर सही माने तो क्या अपनी सख्ती के लिए जाने जा रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले दोषियों के विरुद्ध कार्यवाई करेंगे। क्योंकि यह कथित घोटाला उनकी नाक के नीचे अर्थात राजधानी के सबसे करीबी जिले बाराबंकी में हुआ है। मामला भी कोई छोटा नही बल्कि 115 गाँवों से जुड़ा हुआ है।
रिपोर्ट- सरफराज़ वारसी