अब यूपी में भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की तैयारी, केजीएमयू को मिली अनुमति

पूरी दुनिया में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी ने नई राह दिखाई है। दिल्ली में कोरोना से बुरी तरह संक्रमित एक मरीज के प्लाज्मा इलाज के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी इस थेरेपी को आजमाने की तैयारी है।

Update: 2020-04-23 03:36 GMT

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी ने नई राह दिखाई है। दिल्ली में कोरोना से बुरी तरह संक्रमित एक मरीज के प्लाज्मा इलाज के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी इस थेरेपी को आजमाने की तैयारी है। लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस का इलाज किया जाएगा। केजीएमयू को इसके लिए इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और ड्रग कंट्रोलर की अनुमति भी मिल गई है।

दिल्ली में हुआ मरीज का सफल इलाज

दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने प्लाज्मा थेरेपी से एक मरीज के सफल इलाज की उपलब्धि हासिल की है। मरीज के ठीक होने से डॉक्टर भी काफी उत्साहित हैं। इस मरीज को बुखार के साथ ही सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उसके फेफड़े भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे। हालत गंभीर हो जाने पर इस मरीज को ऑक्सीजन भी देनी पड़ी। बाद में परिजनों के अनुरोध पर प्लाज्मा थेरेपी का सहारा लिया गया।

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डॉक्टरों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी का सहारा लेने के बाद चार दिन में ही मरीज की स्थिति में काफी सुधार आया और उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। अब इस मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट से भी हटा दिया गया है। डॉक्टर यह देखकर उत्साहित हैं कि अब इस मरीज ने खाना-पीना भी शुरू कर दिया है।

केजीएमयू में होगा दूसरा प्रयोग

अब लखनऊ के केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी को आजमाने की तैयारी है। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. हिमांशु ने बताया कि दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस के सफल इलाज के बाद और दूसरा प्रयोग केजीएमयू में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए कोरोना संक्रमित मरीज के ठीक हो जाने के 28 दिन बाद उसके खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे कोरोना से संक्रमित मरीज को चढ़ाया जाएगा। केजीएमयू के डॉक्टरों को ठीक हो चुके मरीजों के 28 दिन पूरा होने का इंतजार है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू ने स्वास्थ्य विभाग से दूसरे अन्य जिलों में कोरोना से ठीक हुए मरीजों की सूची मांगी है।

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ऐसे होता है इस थैरेपी से फायदा

डॉक्टरों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमित मरीज के ठीक होने के कम से कम 28 दिन बाद उसके एंटीबॉडी तत्व दूसरे संक्रमित मरीज के शरीर में ट्रांसफर किए जाते हैं। इसके लिए ठीक हुए मरीज का ब्लड प्लाज्मा संक्रमित मरीज को चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा थेरेपी से संक्रमित मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी तेजी से बढ़ती है और उसका संक्रमण दूर होने की उम्मीदें बढ़ जाती हैं।

नई उम्मीद की किरण है प्लाज्मा थेरेपी

मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी एक उम्मीद की किरण है। अस्पताल के निदेशक डॉ संदीप बुद्धिराजा का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी की मदद लेने के साथ ही इलाज के प्रोटोकाल का पालन भी किया जाना चाहिए। हमने मरीज के इलाज में ऐसा ही किया जिससे उसकी हालत में सुधार आया। उन्होंने कहा कि एक डोनर 400 मिलीलीटर प्लाज्मा दान कर सकता है और किसी भी मरीज को इलाज के लिए 200 मिलीलीटर प्लाज्मा ही पर्याप्त है। इस तरह एक डोनर की मदद से दो मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

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महाराष्ट्र को भी मिली आईसीएमआर की अनुमति

इस बीच आईसीएमआर ने महाराष्ट्र में भी प्लाज्मा थेरेपी से मरीजों का इलाज करने की अनुमति दे दी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अब प्लाज्मा थेरेपी से मरीजों का इलाज करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के अच्छे परिणाम मिले हैं और अब हम भी इसका सहारा लेंगे।

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