केवल आशंका पर किसी कर्मचारी को दंडित करना गलतः हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल आशंका पर किसी कर्मचारी को दंडित नहीं किया जा सकता। हालांकि लगा आरोप, आपराधिक आरोप की तरह सन्देह से परे साबित करना जरूरी नहीं है फिर भी कदाचार साबित करने के लिए साक्ष्य होना जरूरी है।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल आशंका पर किसी कर्मचारी को दंडित नहीं किया जा सकता। हालांकि लगा आरोप, आपराधिक आरोप की तरह सन्देह से परे साबित करना जरूरी नहीं है फिर भी कदाचार साबित करने के लिए साक्ष्य होना जरूरी है।
कोर्ट ने विभागीय जांच में आरोप साबित किये बगैर दण्डित करने को अवैध करार दिया है और आयुध कारखाना कानपुर नगर के लिपिक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश को रद्द कर दिया है।
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कोर्ट ने याची को सेवाजनित सभी परिलाभों का हकदार माना है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति डा.के.जे.ठाकर की खंडपीठ ने मुश्ताक अहमद खान की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची अधिवक्ता का कहना था कि याची को कस्टम विभाग मुजफ्फरनगर कदाचार के आरोप में अर्थ दण्ड की सजा सुनाई। अपील लंबित है। इसी सजा के आधार पर विभागीय जांच हुई। आरोप साबित नहीं हुआ किन्तु दोषी मानते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश दिया गया। कैट प्रयागराज में चुनौती दी गयी। वाद खारिज होने के बाद यह याचिका दाखिल की गयी थी।
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याची का कहना था कि कस्टम विभाग की सजा आपराधिक सजा नहीं है। इसलिए आरोप साबित किये बगैर दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने याची को दंडित करने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है।