कोरोना से उत्तर प्रदेश में हुई सबसे कम उम्र के युवक की मौत
बस्ती के रहने वाले 25 साल के हसनैन अली को 29 मार्च रविवार को बस्ती जिला चिकित्सालय से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज के मेडिसिन वार्ड में एडमिट कराया गया था। वहां पर उसका सामान्य मरीज की तरह इलाज किया गया।
गोरखपुर: कोरोना वायरस से यूपी की पहली और देश के सबसे कम उम्र के युवक की मौत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में हुई है। काफी खींचतान के बाद आखिरकार अधिकारियों को इस बात की पुष्टि करनी पड़ी। गोरखपुर के कमिश्नर जयंत नार्लीकर और डीएम के। विजयेन्द्र पाण्डियन ने इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने बताया कि उसे कई बीमारी थी और वो पहले भी कहीं भर्ती रहा है। मृतक की मौत के बाद जांच में उसके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। इस मामले में बस्ती से लेकर गोरखपुर जिला और मेडिकल प्रशासन की घोर लापरवाही भी साफ दिखाई दे रही है।
सामान्य मरीज की तरह इलाज किया गया
बस्ती के रहने वाले 25 साल के हसनैन अली को 29 मार्च रविवार को बस्ती जिला चिकित्सालय से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज के मेडिसिन वार्ड में एडमिट कराया गया था। वहां पर उसका सामान्य मरीज की तरह इलाज किया गया। इसके बाद उसकी मौत होने पर बीआरडी प्रशासन ने उसकी डेड बॉडी परिजनों को सुपुर्द कर दी।
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परिजनों ने उसे बस्ती में सुपुर्द-ए-खाक भी कर दिया। इस मामले में गोरखपुर के कमिश्नर जयंत नार्लीकर और डीएम के। विजयेन्द्र पाण्डियन ने बताया कि बस्ती के रहने वाले हसनैन अली को कई बीमारियां रही हैं।
संपर्क में आने वाले डाक्टर, स्टाफ को क्वॉरेंटाइन किया गया
अधिकारियों ने बताया कि उसकी मौत भी लीवर की बीमारी के कारण बताई जा रही है। कोरोना जैसे लक्षण मिलने के कारण उसकी जांच में संदेह पैदा हुआ था। केजीएमयू की रिपोर्ट भी कोरोना पाजिटिव आने के बाद उसके संपर्क में आने वाले डाक्टर, स्टाफ और मरीजो के साथ परिजनों को भी आइसुलेशन में रखने के साथ जगह को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है।
बस्ती जिला प्रशासन और जिला चिकित्सालय भी सावधानी बरत रहा है। उसे बस्ती से यहां लाने वाली एंबुलेंस को सेनेटाइज करने के बाद उसके ड्राइवर को भी आइसुलेन में रखा गया है। उसके संपर्क में आने वाले अन्य लोगों का भी जांच कर पता लगाया जा रहा है।
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इस मामले में बस्ती के साथ गोरखपुर के भी आलाधिकारियों की घोर लापरवाही इसलिए भी सामने आ रही है क्योंकि इसे सामान्य मरीज की तरह ही दोनों जिले में ट्रीटमेंट दिया गया। कोरोना जैसे लक्षण होने के बाद भी हसनैन को बीआरडी मेडिकल कालेज के मेडिसिन वार्ड में भर्ती करने से भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि वहां जितने भी मरीज भर्ती रहे होंगे, उनके भी कोरोना के संदिग्ध होने का खतरा खड़ा हो गया है।