बिजली के दामों पर फैसला 19 को, अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
बिजली उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे हैं अधिक दाम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली के दामों को बढ़ाए जाने को लेकर अभी संशय बना हुआ है। the companies which failed to answer the questions of the Commission will now be given an opportunity to speak again in the next meeting. यह बैठक 19 मई को होना तय हुआ है। आयोग ने कहा कि उपभोक्ता परिषद 19537 करोड़ के एवज में बिजली दर कम करने की बात कह रहा है।
उल्लेखनीय है कि नियामक आयोग में सुनवाई के दौरान उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि बिजली कम्पनियों के निवेशकों के खिलाफ आयोग को नियम विरुद्व रेगुलेटरी सरचार्ज लाने के खिलाफ विधिक कार्यवाही होनी चाहिए। वर्मा ने बिजली कम्पनियों के अधिकारियों पर कार्रवाई करने की भी मांग रखी है। वर्मा ने कहा कि पिछले नौ साल में किसानों, ग्रामीणों और शहरी बिजली उपभोक्ताओं से अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। इस बीच बिजली दरों में 84 से 500 फीसदी तक बिजली के दामों में वृद्वि की गयी है। यही कारण है कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति बिजली खपत बढ़ नहीं पा रही है। इस समय प्रति व्यक्ति उर्जा खपत 629 यूनिट प्रति वर्ष है।
बिजली कम्पनियों ने नियम विरुद्व रेगुलेटरी सरचार्ज लाने का प्रस्ताव रखा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कम्पनियो ने एक नया षड़यंत्र किया और नियामक आयोग में एक प्रस्ताव दाखिल कर सरकार के एक पुराने पत्र का हवाला दिया है जो निर्णय विद्युत नियामक आयोग ने पूर्व में किया है वह ठीक नहीं है। साथ ही यह भी बताया कि प्रदेश के उपभोक्ताओ का बिजली कम्पनियो पर कुल लगभग 19537 करोड़ निकल रहा है। वहीं दूसरी तरफ बिजली कम्पनियों ने नियामक आयोग के सामने रेगुलेटरी सरचार्ज तथा स्लैब में बदलाव की बात कही है। जबकि नियामक आयोग का कहना है कि लाॅकडाउन के चलते जहां सारे काम काज और उद्योग धंधे बंद हैं ऐसे में बिजली के दाम बढ़ाना कितना जायज है। आयोग ने कहा कि उपभोक्ता परिषद 19537 करोड़ के एवज में बिजली दर कम करने की बात कह रहा है। इसलिए उसे रोकने के लिए बिजली कम्पनियों ने नियम विरुद्व रेगुलेटरी सरचार्ज लाने का प्रस्ताव रखा है।