आतंकियों के लिए काल है बिना ड्राइवर वाली ये कार, जानिए इसकी खासियत

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की शाखा व्हीकल रिसर्च डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (वीआरडीई) ने एयूजीवी नामक वाहन बनाया है। इस वाहन को बिना किसी मानव के चलाया जा सकता है।

Update:2020-02-06 23:02 IST

लखनऊ: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की शाखा व्हीकल रिसर्च डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (वीआरडीई) ने एयूजीवी नामक वाहन बनाया है। इस वाहन को बिना किसी मानव के चलाया जा सकता है। यह वाहन दुश्मनों की रेकी करने में अच्छी तरह से सहायक हो सकता है। वाहन का प्रदर्शन लखनऊ में चल रहे डिफेंस एक्सपो में किया गया है। यह वाहन जल्द ही भारतीय सेना को मिलेगा।

देश में अलग-अलग जगहों पर आतंकी हमले होते रहे हैं और कई बार आतंकियों के मंसूबे सफल भी हो जाते हैं। ऐसे में यह वाहन अपनी विभिन्न क्षमताओं की वजह से आतंकी घटनाओं पर लगाम कसने और भारतीय सेना की मदद करने में सहायक हो सकता है।

डीआरडीओ के वीआरडीई विभाग के तकनीक अधिकारी अभिषेक दुबे ने बुधवार को डिफेंस एक्सपो में एयूजीवी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह कार हर प्रकार की चुनौतियों का सामना कर सकती है। यह वाहन कई तरह की खुफिया सुविधाओं से लैश है। क्रूश नियंत्रण हर प्रकार बाधा से बचाने में सहायक होगा। चुनौती भरी राह पर योजना बनाना और उसे स्वयं ही नेवीगेट करना इसकी खूबी है। इतना ही नहीं वाहन पर एक ऐसा विशेष सेंसर भी लगा है, जो कि राह पर आने वाली बाधा को भांप कर उसे आसान बनाने में सक्षम है।

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उन्होंने बताया कि वाहन करीब 1600 किलो वजनी है। इस वाहन को तीन तरीके से चलाया जा सकता है। एक स्वयं, दूसरा टेली ऑपरेशन, तीसरा स्वायत्त (ऑटोनोमस) तरीके से चलाया जा सकता है। यह वाहन समतल रास्ते पर करीब 25 किमी की रफ्तार पर चल सकता है। वही ऑटोमोनस पर 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। इसे बनाने की लागत तकरीबन 3 से 4 करोड़ रुपये है।

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दुबे ने बताया कि यह वाहन बिना किसी व्यक्ति के बैठे बिना भी चलाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल हमारे सेना के जवाना कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल रास्ते को साफ करने और बार्डर पर रेकी के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा बार्डर की सुरक्षा में इसका इस्तेमाल हो सकता है। हथियारों और गोला बारूद को ले जाने के लिए और आस-पास कोई आतंकी खोज निकालने में वाहन सहायक हो सकता है।"

उन्होंने बताया कि इस तकनीकि को हमने पूरी तरह से ऑटोनोमस बनाया है और इतना ही नहीं कोई भी वाहन जो सेना इस्तेमाल कर रही है, उसे भी ऑटोनोमस में तब्दील किया जा सकता है।

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