इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया शेल्टर होम की पीड़िताओं से स्टेट चाइल्ड प्रोटेक्शन कमीशन के तीन सदस्यों द्वारा कोर्ट की रोक के बावजूद मिलकर साक्षात्कार लेने के मामले में कड़ा रूख अपनाया है और आयोग की सदस्यों लूकरगंज की शोभा दरबारी, चक निरातुल की नीता साहू व जार्जटाउन के नरेन्द्र साहू वकील को नोटिस जारी कर 27 अगस्त को स्पष्टीकरण के साथ तलब किया है।
कोर्ट ने कहा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाए। कोर्ट ने शारीरिक व मानसिक शोषण की पीड़िताओं की बाल मनोरोग विशेषज्ञ से मेडिकल जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है ताकि कोर्ट सुरक्षा उपाय कर सके।
कोर्ट ने इलाहाबाद के डीएम, एसएसपी व जिला प्रोबेशन अधिकारी को आदेश दिया है जहां पर चारों पीड़िताओं को रखा गया है। उस संस्था की सुरक्षा पुख्ता की जाए। कोर्ट ने लड़कियों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर डीएम व जिला प्रोबेशन अधिकारी को स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है और एसएसपी को चेतावनी दी है कि वह भविष्य में सुरक्षा लापरवाही न बरते और संस्था की सुरक्षा बढ़ायी जाए। याचिका की सुनवाई 27 अगस्त को होगी।
शेल्टर होम मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ कर रही है। कोर्ट ने कहा है कि लड़कियों से मिलने पर लगी रोक के बावजूद बाहरी लोगों को कैसे मिलने दिया गया। कोर्ट ने कहा कि चारों लड़कियां कोर्ट की अभिरक्षा में है। कोर्ट की अनुमति बगैर किसी को भी उनसे मिलने व साक्षात्कार लेने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने शेल्टर होम की पीड़िताओं की सुरक्षा के कदम उठाने सहित बड़े लोगों का पता लगाने का आदेश का पालन करने का भी निर्देश दिया है।
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अभिरक्षा में मौत मामला-प्रमुख सचिव गष्ह से पिछले दस वर्षों के कार्यवाही की जानकारी तलब
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भदोही में पुलिस अभिरक्षा में मौत मामले में पुलिस कार्यवाही सही तरीके से न होने के खिलाफ दाखिल याचिका पर कड़ा रूख अपनाया है और प्रमुख सचिव गष्ह से कष्त कार्यवाही सहित अभिरक्षा में मौत मामले में गाइड लाइन की जानकारी के साथ दो हफ्ते में हलफनामा मांगा है।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति ओम प्रकाश की खण्डपीठ ने भदोही की रेनू मिश्रा की याचिका पर यह आदेश दिया है। कोर्ट ने डीजीपी से भी अभिरक्षा में मौत मामले में की गयी कार्यवाही का ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह से पूछा है कि क्या अभिरक्षा में मौत मामले में जारी गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है। कोर्ट ने पिछले दस सालों में अभिरक्षा में मौत मामले में की गयी कार्यवाही तथा दोषी पुलिस कर्मियों को कैसे डील किया गया, पूरा ब्योरा पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की क्या व्यवस्था की गयी है और इसका पालन कैसे किया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा है कि अभिरक्षा में मौत मामले में तुरन्त कार्यवाही न किये जाने पर सरकार क्या ऐक्शन लेती है और क्या फोरेन्सिक जांच लैब आदि की प्रदेश में व्यवस्था की गयी है और अभिरक्षा में मौत मामले फोरेन्सिक जांच की जाती है। याचिका की अगली सुनवाई दस अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने कहा है कि याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गयी है। जनता का विश्वास भी केन्द्रीय जांच एजेन्सी पर कायम है। किन्तु राज्य सरकार से अभिरक्षा में मौत मामले में कार्यवाही करने की गाइड लाइन व उसके पालन के बारे में जानकारी लिया जाना चाहिए।
पश्चिमी यूपी में हिन्दू कोर्ट के गठन पर जवाब तलब
हाईकोर्ट ने पश्चिमी यूपी में हिन्दू कोर्ट के गठन पर प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी है, साथ ही डीएम मेरठ और हिन्दू कोर्ट की कथित जज को पक्षकार बनाने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 11 सितम्बर को होगी। कानपुर के अमित सिंह की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि गत दिनों कुछ समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित हुई थी कि पश्चिमी यूपी के कुछ जिलों में हिन्दू कोर्ट का गठन हिन्दू संगठनों ने बना दी है। इनके गठन के पीछे स्थानीय वादों का निस्तारण हिन्दू कोर्ट द्वारा किया जायेगा। डा.पूजा सकून पाण्डेय को इस कोर्ट का पहला जज बना दिया गया है। याचिका मंे मांग की गयी है कि इस प्रकार की अदालत के गठन को रोका जाए। कोर्ट ने कहा कि याची ने इस मामले में किसी को पक्षकर नहीं बनाया है। कोर्ट ने डीएम मेरठ और डा.पूजा सकून पाडेय को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया है साथ ही राज्य सरकार से इस मामलें में जानकारी देने का निर्देश दिया है।