यूपी सांसदों की पंचायत में ढीली हुई अफसरों की पैंट, सभी MP से मांगा सड़कों का प्रस्ताव
डिप्टी सीएम केशव मौर्या की अध्यक्षता में विधानभवन के तिलक सभागार में यूपी के सांसदों की बैठक बुलाई गई थी।
लखनऊ: एनडीए शासित केंद्र सरकार के सबसे ज्यादा यानि कुल 73 सांसद यूपी से हैं। अक्सर उनके इलाकों के खराब सड़कों का सवाल सांसदगणों के समक्ष यक्ष प्रश्न की तरह खड़ा होता रहा है। अब जब केंद्र और प्रदेश में दोनों जगह बीजेपी सरकार है तो जनता की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं। उन्हीं अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए डिप्टी सीएम केशव मौर्या की अध्यक्षता में रविवार (02 जुलाई) को विधानभवन के तिलक सभागार में यूपी के सांसदों की बैठक बुलाई गई थी।
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बैठक में लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को भी बिठाया गया था। सांसद अपने इलाके की समस्याएं गिना रहे थे और संबंधित इंजीनियर बगले झांक रहे थे। उनकी पैंट ढीली हो रही थी, कई इंजीनियर इस दौरान अपनी पैंट संभालते और कसते दिखे। बहरहाल विभागीय मंत्री केशव मौर्या जैसे-तैसे मामला संभाल रहे थे और कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर सभी इंजीनियरों को तलब कर उनके पेंच कसे। बैठक में सभी सांसदों से उनके इलाकों की सड़कों के प्रस्ताव मांगे गए हैं। केशव मौर्या ने कहा कि केंद्र सरकार से सड़कों के मद में एक लाख करोड़ रुपए की धनराशि मिली है।
बगलें झांकने लगे चीफ इंजीनियर
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज पासवान भी मौजूद थी। उन्होंने तिलहर के टूटे पुल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वह पुल कितने साल से टूटा पड़ा है। उसमें कितना पैसा व्यर्थ गया। संबंधित चीफ इंजीनियर गर्ग हाल ही में मौजूद थे। पासवान ने सीधे उनसे सवाल किया तो वह बगले झांकने लगें। डिप्टी सीएम केशव मौर्या के पूछने पर बताया कि उसका प्रस्ताव शासन में पहले ही भेजा जा चुका है।
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5 साल बाद प्रस्ताव आए और 10 साल बाद पास हो!
केशव मौर्या ने इंजीनियरों से साफ कहा कि वह इस बात का ध्यान रखें कि कब प्रस्ताव आ रहा है और किस प्रस्ताव की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पूरा विभाग इसका ध्यान रखे। ऐसा न हो कि पांच साल बाद प्रस्ताव आए और दस साल बाद पास हो।
संजीव बालियान ने पश्चिमी यूपी में खनन का मुद्दा उठाया
पश्चिमी यूपी से सांसद संजीव बालियान ने सड़कों के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे पहले पश्चिमी यूपी में खनन खुलवाना बहुत जरूरी है। सीएम जब मेरठ आए थे तब भी उनके सामने यह बात उठाई गई थी। अभी खनन पर एनजीटी की रोक है। जब तक सरकार सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी के खिलाफ नहीं जाएगी रोक हटना मुश्किल है। इसके पहले हम कितने भी प्रस्ताव दे दें सड़कों का बनना संभव नहीं है।