देव दीपावली: काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर उतरेगा 'स्वर्गलोक'
गंगा तट पर मंगलवार शाम काशी में स्वर्गलोक सा नजारा देखने को मिलेगा। 8 किमी लंबी अर्धचंद्राकार घाटों पर 11 लाख दीपों की लड़ियां जगमगाएगी तो जमीं पर जन्नत सा एहसास होगा। देव दीपावली की इस निराली छटा को देखने के लिए देश दुनिया के कोने-कोने से लाखों की संख्या में बनारस सैलानी पहुंचे हैं।
वाराणसी: गंगा तट पर मंगलवार शाम काशी में स्वर्गलोक सा नजारा देखने को मिलेगा। 8 किमी लंबी अर्धचंद्राकार घाटों पर 11 लाख दीपों की लड़ियां जगमगाएगी तो जमीं पर जन्नत सा एहसास होगा। देव दीपावली की इस निराली छटा को देखने के लिए देश दुनिया के कोने-कोने से लाखों की संख्या में बनारस सैलानी पहुंचे हैं।
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गवर्नर होंगी मुख्य अतिथि
दशाश्वमेध घाट पर माह आरती नहीं होने के चलते इस बार मुख्य कार्यक्रम राजघाट पर होगा। गवर्नर आनंदी बेन पटेल मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगी। राजघाट के अलावा 16 अन्य घाटों पर कार्यक्रम होने हैं। इस दौरान सूफी गायक हंसराज हंस का भी परफॉर्मेंस होगा। गंगा की धारा में लेजर शो का भी आयोजन किया गया है। लेजर शो में शिव की जटा से गंगा निकलने और राम के राज्याभिषेक की प्रतिकृति दिखाई जाएगी।
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शहीदों को किया जाता है याद
देव् दीपावली के मौके पर शहीदों की याद में जलाए जाने वाले आकाशदीपों को उतारा जाता है। इसके बाद शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया जाता है। बनारस में नये परंपरा साल 1991 से चली आ रही है। इसके अलावा तुलसी, पंचगंगा सहित अन्य घाटों पर भी देशभक्ति का रंग देखने को मिलेगा। स्थानीय प्रशासन की ओर से कुछ घाटों पर प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को दीपों के जरिये दर्शाया जाएगा।
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क्या है देव दीपावली की मान्यता?
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है। दिवाली के 15 दिन बाद ये पर्व आता है जो इस बार 12 नवंबर को है। इस पर्व की खास रौनक काशी में देखने को मिलती है। जहां मां गंगा और शिव जी की अराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर दानव का वध किया था जिसके मारे जाने पर देवताओं ने विजय दिवस मनाया और दीपक जलाकर अपनी खुशी जाहिर की थी। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव धरती पर आते हैं।