Sonbhadra News: सावधान! दिवाली से पहले ही हवा में घूम रहा जहर
Sonbhadra News Today: जनपद में दिवाली से पहले आबोहवा बिगड़ने लगी है। चिंता की बात है कि जिले में प्रदूषण बढ़ गया है।
Sonbhadra News: बारिश का दौर थमने और ठंड की हल्की दस्तक के साथ ही सोनभद्र की आबोहवा में प्रदूषण का जहर उछाल मारने लगा है। हालत यह है कि सितंबर माह में 100 सूचकांक के इर्द-गिर्द रहने वाले प्रदूषण, दीपावली पर मचने वाले पटाखों के शोर के पहले ही 268 पर पहुंच गया है। पूर्व के सालों में अति प्रदूषित इलाकों में प्रदूषण को लेकर पटाखा फोड़ना दूर, बिक्री तक पर प्रतिबंध लगाए गए थे लेकिन इस बार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से अभी तक ऐसी कोई पहल सामने नहीं आई है।
निगरानी की स्थिति यह है कि राष्ट्रीय वायु स्वच्छता कार्यक्रम के तहत चयनित अनपरा परिक्षेत्र के साथ ही, प्रदूषण के लिहाज से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से चिन्हित एरिया में जिले में आधे से अधिक पटाखे के दुकान के लाइसेंस जारी किए गए हैं। गैर लाइसेंसी दुकानें लगी हैं सो अलग। प्रदूषण विभाग के लोग जहां इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं हालात को देखते हुए डाक्टरों की तरफ से लोगों को सेहत को लेकर चेतावनी दी जाने लगी है।
सोनभद्र में कुछ इस तरह अचानक से बिगड़े हालात
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से सोनभद्र और सिंगरौली में प्रदूषण जांचने के लिए यूपी-एमपी सीमा पर विंध्यनगर में स्थापित प्रदूषण मापन यंत्र के जरिए सामने आए आंकड़ों पर ध्यान दें तो पहली जून को 268 पर रहने वाला एयर क्वालिटी इंडेक्स 20 जून आते-आते घटकर 98 पर आ गया था। कम बारिश के बावजूद जुलाई से लेकर सितंबर तक प्रदूषण सूचकांक, स्थिति नियंत्रण में होने का आंकड़ा प्रदर्शित करता रहा, लेकिन जैसे ही बारिश का दौर थमा और अक्टूबर की शुरूआत हुई, हवा की सेहत बिगड़नी शुरू हो गई। 14 अक्टूबर आते-आते जिले में वायु प्रदूषण का स्तर ग्रीन जोन से निकलकर आरेंज जोन में पहुंच गया।
रेड जोन में पहुंची प्रदूषण की स्थिति, मास्क के प्रयोग की सलाह
जनपद में 15 अक्टूबर को 116, 16 अक्टूबर को 152, 126, 18 अक्टूबर को 152, 19 अक्टूबर को हवा का गुणवत्ता सूचकांक 153 दर्ज किया गया। वहीं 20 अक्टूबर को सूचकांक उछलकर 216 पर पहुंच गया। 21 अक्टूबर को इसमें और इजाफा देखने को मिला और इस दिन इस सीजन का अब तक का सर्वाधिक सूचकांक 268 दर्ज होने का रिकार्ड बन गया। 22 और 23 अक्टूबर को भी हवा में प्रदूषण रूपी जहर खतरनाक स्थिति बनाए रहा। इस दिन सूचकांक क्रमशः 248, 223 दर्ज किया गया। वाराणसी के स्किन रोग विशेषज्ञ सौरभ कुमार सिंह कहते हैं कि फेफड़ों के लिए यह स्थिति तो खतरनाक है ही, स्किन के मामले में भी हालात चिंताजनक हैंं। जब तक हालात सुधर नहीं जाते तब तक घर से बाहर खुली हवा में निकलते वक्त मास्क का प्रयोग जरूर करें।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग की चुप्पी पर उठाए जा रहे सवाल
एनजीटी की सख्ती, राज्य सरकार और डीएम के निर्देश के बावजूद चाहे पत्थर की सफेद धुंध उगलते क्रशर प्लांटों का मामला हो, कनहर नदी की धारा प्रभावित कर तथा पोखरा में पांगन नदी में खनन के नाम पर जलीय पर्यावरण का स्वरूप बिगाड़ने का मामला हो, पर्यावरण एनओसी जारी करने की प्रक्रिया या नोटिस दिए बगैर ही, इस मामले को लेकर पेनाल्टी ठोंकने का मामला हो या फिर अचानक से प्रदूषण में उछाल का मामला हो, प्रदूषण नियंत्रण विभाग के जिम्मेदारों की चुप्पी लोगों को हैरत में डाले हुए है। रविवार को भी प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किए जा रहे उपायों और अचानक स्थिति बिगड़ने के कारणों की जानकारी के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह को काल की गई तो हर बार वह व्यस्त मिलते रहे।
कमियां छिपाने को प्रशासन पर फोड़ा जा रहा ठीकरा
बता दें कि कनहर, पांगन नदी और क्रशर प्लांट की स्थिति पर सेलफोन पर प्रदूषण नियंत्रण विभाग के एक बड़े अफसर का कहना था कि इसके लिए प्राथमिक जिम्मेदारी माइंस विभाग और सिंचाई विभाग की है। जबकि पर्यावरण का जब भी कोई मामला आता है, इसके लिए नोडल किसी प्रशासनिक अफसर को नहीं बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को बनाया जाता है। बता दें कि अभी कुछ माह पूर्व ही एक क्रशर प्लांट को लेकर प्रदूषण विभाग के दो-दो अधिकारियों द्वारा सोनभद्र के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी के रूप में पत्र निर्गत कर, लोगों के सामने अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न कर दी गई थी। लगभग पखवारे भर बाद जाकर स्थिति स्पष्ट हुई थी, तब जाकर उद्योग जगत के लोग उहापोह से उबर पाए थे।