वाराणसी: भगवान भरोसे चल रहा अस्पताल, OPD से डॉक्टर लापता
सरकारी अस्पतालों में दवा-इलाज के समुचित इंतजाम होने का सरकारी दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है। ग्रामीणों क्षेत्र के अस्पतालों की कौन कहे, शहर के मण्डलीय अस्पताल कबीरचौरा में भी समय से सिर्फ मरीज पहुंचते है। यहां इलाज कराने के लिये आने वाले रोगियों को लम्बे इंतजार के बाद उपचार मुहैया हो पाता है।
वाराणसी: सरकारी अस्पतालों में दवा-इलाज के समुचित इंतजाम होने का सरकारी दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है। ग्रामीणों क्षेत्र के अस्पतालों की कौन कहे, शहर के मण्डलीय अस्पताल कबीरचौरा में भी समय से सिर्फ मरीज पहुंचते है। यहां इलाज कराने के लिये आने वाले रोगियों को लम्बे इंतजार के बाद उपचार मुहैया हो पाता है।
पर्ची काउंटर से डेढ़ घण्टे तक गायब रहा कर्मचारी
शनिवार की सुबह मण्डलीय अस्पताल कबीरचौरा के काउंटर नम्बर 3 पर डेढ़ घण्टे तक मरीज पर्ची कटवाने के लिए लंबी कतार लगाए खड़े थे जबकि काउंटर पर ड्यूटीरत कर्मचारी सुनील शुक्ला गायब रहा। लम्बी कतार में डेढ़ घण्टे तक इंतजार कर रहे मरीजों का धैर्य जब जवाब दे गया तब मरीजों के हंगामें के बाद कर्मचारी आकर पर्चियां काटने लगा। मौके पर मौजूद मरीजों ने बताया कर्मचारी चाय पीने का बहाना बनाकर घण्टों गायब रहा।
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ओपीडी में समय से नहीं बैठते डॉक्टर
कर्मचारियों की लापरवाही के साथ ही डॉक्टर भी लापरवाह बने रहते हैं। काफी जद्दोजहद के बाद मरीज जब पर्ची लेकर ओपीडी में ईलाज के लिए पहुंचते हैं तो घण्टों तक डॉक्टरों के इंतजार में बैठते हैं। शनिवार को फिजिशियन ए.के.सिंह ओपीडी में सवा ग्यारह बजे तक नहीं बैठे थे तो वहीं ओपीडी में ही एक महिला मरीज गम्भीर अवस्था में कराह रही थी। कुछ इस तरह का नजारा लगभग हर ओपीडी में देखने को मिलता है। मरीजों का कहना है डॉक्टर समय से ओपीडी में नहीं आते। नियम से सुबह 8 से 2 बजे तक डॉक्टर ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज करेंगे। जबकि हकीकत नियम से परे है।
भगवान भरोसे चल रहा मण्डलीय अस्पताल
लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये शासन की ओर से लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किये जाते है। इसके लिये डॉक्टरों व कर्मचारियों की भारी-भरकम फौज भी तैनात की गयी है। हालांकि जिम्मेदारों की शिथिलिता के चलते मण्डलीय अस्पताल कबीरचौरा में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है। यहां ओपीडी के बाहर तो रोजाना सैकड़ों मरीजों की कतार तो लग जाती है लेकिन डॉक्टर साहब अपने समय से नहीं आते। मरीज व उनके तीमारदार पर्ची लेकर घंटों लाइन में खड़े रहते हैं।
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सीमित संसाधनों का हवाला देकर झाड़ते है पल्ला
हालांकि शासन स्तर से स्वास्थ्य महकमे को जो गाइडलाइंस दी गई और उसके अनुसार चिकित्सकों को सुबह 9 बजे के पूर्व ओपीडी में बैठकर इलाज करना तय किया गया है लेकिन शासन का फरमान यहां के चिकित्सकों के लिए हवा- हवाई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसको लेकर जब भी मरीजों द्वारा हंगामा किया जाता है, तब अस्पताल प्रशासन सीमित संसाधनों का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है और मरीजों की समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है।
रिपोर्ट: आशुतोष सिंह