पावर कार्पोरेशन प्रबंधन के खिलाफ अभियंता संघ ने की आंदोलन की घोषणा

पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की मनमानी व अभियंताओं के उत्पीड़न के खिलाफ अभियंता संघ ने की 31 जुलाई से आंदोलन की घोषणा...

Update: 2020-07-24 17:58 GMT

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: सभी ऊर्जा निगमों में प्रबन्धन के मनमानेपन अभियन्ताओं के साथ बड़े पैमाने पर की जा रही उत्पीड़नात्मक व दण्डात्मक कार्यवाहियों समेत तमाम समस्याओं से आक्रोशित बिजली अभियन्ताओं ने उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ के बैनर तले लोकतांत्रिक तरीके से प्रदेशव्यापी आन्दोलन करने की घोषणा की है। अभियन्ता संघ ने अध्यक्ष पावर कारपोरेशन इसकी नोटिस भेजते हुए कहा है कि आगामी 31 जुलाई तक प्रबन्धन द्वारा 11 बिन्दुओं पर सार्थक कार्यवाही न की गयी तो आन्दोलनात्मक कार्यक्रमों की घोषणा कर दी जायेगी।

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मान-सम्मान तथा कैरियर से खिलवाड़ किया जा रहा

विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह तथा महासचिव प्रभात सिंह ने शुक्रवार को बयान जारी कर बताया कि विगत कुछ माहों से लगभग सभी ऊर्जा निगमों के प्रबन्ध निदेशकों द्वारा बिजली अभियन्ताओं के प्रति द्वेषपूर्ण भावना व पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दण्डात्मक कार्यवाहियों और अनावश्यक जांचों का कुचक्र चलाकर अभियन्ताओं के मान-सम्मान तथा कैरियर से खिलवाड़ किया जा रहा है।

ऊर्जा निगमों के प्रबन्धन का मनमानापन चरम पर पहुंच गया है तथा अभियन्ताओं कीे सहनशीलता भी समाप्ति की ओर है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के लाॅकडाउन में माह अप्रैल में 4-5 दिनों के विलम्ब से वेतन वितरण पर अभियन्ताओं की वेतन वृद्धियां रोक ली गयी हैं, लेकिन प्रबन्धन द्वारा विगत कुछ माहों में अभियन्ताओं को 20-25 तारीख को वेतन दिया गया है।

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अभियन्ताओं का उत्पीड़न करना प्रबन्धन का उद्देश्य

उन्होंने आगे बताया कि ई-निविदा टेण्डरों की जांच के लिए सीए ऑडिट व एजी ऑडिट होने के बाद में स्पेशल ऑडिट में भी कुछ खास खामियां न पाये जाने के बाद भी प्रबन्धन द्वारा उत्पीड़न करने के लिए मनमाने ढंग से बिजली चोरी रोकने के लिए बने एन्टी थेफ्ट थानों का दुरुपयोग करते हुए उपलब्ध पुलिस तंत्र को बिजली चोरी रोकने के मूल कार्यों से दूर करते हुए ई-टेण्डर्स की जांच सहित तमाम जांचों में उपयोग किया जा रहा है, जिसके लिए यह विजिलेंस विंग विधिक रूप से अधिकृत नहीं है। इससे साफ है कि प्रबन्धन का मूल उद्देश्य बिजली चोरी रोकना न होकर अभियन्ताओं का उत्पीड़न करना है।

पदाधिकारियों ने बताया कि प्रबन्धन द्वारा अभियन्ताओं को एक ओर राजस्व बढ़ाने, डाटा क्लीनिंग, पोर्टल अपडेट करने, कैम्प करने, रेड डालने, अव्यवहारिक रूप से लक्षित निर्माण व अनुरक्षण कार्यों को न्यूनतम से भी कम समय में पूरा करने के ऐसे निर्देश दिये जा रहे हैं, जैसे प्रदेश में कोरोना जैसी कोई महामारी नहीं है जबकि प्रदेश में लगभग 50,000 कोरोना केसेस दर्ज हो चुके हैं तथा कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है।

अभियन्ताओं और उनके परिजनों का जीवन संकट में

प्रबन्धन की इन गलत नीतियों के कारण जहां एक ओर अभियन्ताओं और उनके परिजनों का जीवन संकट में है, वहीं कोरोना आपदा को अवसर में प्रयोग करते हुए ऊर्जा निगमों में फिजूलखर्ची, सरकारी धन की लूट व चाटुकारिता बढ़ गयी है। गैर कानूनी ढंग से रखे गये सलाहकारों की सलाह पर 30 जून को जारी होने वाले पदोन्नति आदेश अकारण रोक लिये गये हैं।

ऊर्जा निगमों के प्रबन्ध निदेशकों की गलत नीतियों, असमय व असीमित वीसी, अनावश्यक जांचों, पदोन्नति आदेश रोके रखने आदि तमाम उत्पीड़नात्मक और भयादोहन वाली कार्य प्रणाली से प्रदेश के सभी अभियन्ता मानसिक तनाव में हैं तथा उनका मनोबल टूटा हुआ है जिसका असर उनकी प्रशासनिक और तकनीकी क्षमताओं पर पड़ रहा है जो न तो विभाग हित में है और न ही व्यक्ति विशेष के।

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की जा रही दण्डात्मक कार्यवाहियां

दण्डात्मक कार्यवाहियों एवं विभिन्न जांचों के कारण अभियन्ताओं का सम्पूर्ण समय इनके जवाब बनाने, पत्रावलियां दिखाने, पूछ-ताछ एवं बयान दर्ज कराने आदि में ही व्यतीत हो रहा है जिससे अन्य विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस प्रकार के अतिरिक्त विलम्ब से सम्पादित कार्यों पर अभियन्ताओं को फिर से दण्डित किया जा रहा है। कोरोना काल के लाॅकडाउन के कठिन एवं भयानक दौर में बिजली अभियनताओं द्वारा किये गये कार्यों को प्रोत्साहित करने की बजाय निगम प्रबन्धन द्वारा दण्डात्मक कार्यवाहियां की जा रही हैं।

पदाधिकारियों ने कहा कि अगर ऊर्जा निगमों में प्रबन्धन का मनमानापन, उत्पीड़नात्मक एवं भयादोहन, नकारात्मक, द्वेषपूर्ण व फिजूलखर्ची वाली कार्य प्रणाली समाप्त नहीं की गयी तथा बिजली अभियन्ताओं की समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो पूरे प्रदेश के बिजली अभियन्ता आगामी 31 जुलाई को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत प्रदेशव्यापी असहयोगात्मक कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए बाध्य होंगे।

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