गांव की आबादी 10 हजार, दादा-दादी से लेकर पोते-पोतियों तक हर किसी की जन्मतिथि 1 जनवरी

1 जनवरी को ही दादा-दादी पैदा हुए थे, फिर माता-पिता भी 1 जनवरी को ही जन्मे और फिर पोते-पोतियों का जन्म भी इसी 1 जनवरी को। बूढ़े, बच्चे, मर्द, औरतें, जन्म का सन भले ही अलग हो, लेकिन तारीख एक ही है। ऐसा आधार कार्ड का रिकॉर्ड कह रहा है।

Update: 2017-05-22 22:04 GMT

इलाहाबाद: गांव की आबादी 10 हज़ार। आबादी में चार पीढ़ियां तो आसानी से पहचानी जा सकती हैं। लेकिन खास बात यह है कि दादा-दादी से लेकर पोते-पोतियों तक हर घर यानी पूरे गांव की जन्मतिथि एक ही है। पूरा गांव एक जनवरी को पैदा हुआ है। हां, सन अलग अलग हैं। यह जानकारी ऑन रिकॉर्ड है, जिसे जान कर खुद गांव वाले हैरान और परेशान हैं। ये रिकॉर्ड गांव वालों के आधार कार्ड पर दर्ज है।

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पूरा गांव-एक जन्मतिथि

गांव है इलाहाबाद की बारा तहसील का- कंजासा गांव।

दस हजार की आबादी वाले इस गांव में सबका जन्म एक ही तारीख यानी एक जनवरी को हुआ है।

1 जनवरी को ही दादा-दादी पैदा हुए थे, फिर माता-पिता भी 1 जनवरी को ही जन्मे और फिर पोते-पोतियों का जन्म भी इसी 1 जनवरी को।

बूढ़े, बच्चे, मर्द, औरतें, जन्म का सन भले ही अलग हो, लेकिन तारीख एक ही है। ऐसा आधार कार्ड का रिकॉर्ड कह रहा है।

आगे स्लाइड में गांव की प्रधान भी परेशान...

गांव के भाई लाल उनकी पत्नी सिंधु देवी, बेटी रूबी, बेटे सूरज कुमार, अभयराज और अभिषेक का जन्म भी आधार कार्ड में 1 जनवरी ही दर्ज है।

यहां तक कि कंजासा गांव की प्रधान राम दुलारी, उनके पति जगदीश, बहू मीनू और घर के बच्चों की जन्मतिथि भी एक जनवरी ही है।

लेकिन न तो प्रधान राम दुलारी समझ पाईं, न भाई लाल को यह गड़बड़झाला समझ में आया, न किसी दूसरे गांव वाले को।

बस, जैसे जैसे गांव वालों को आधार कार्ड मिलते गये, उन्हें पता चलता गया कि उनकी जन्मतिथि एक जनवरी है।

आगे स्लाइड में बहुत हैं मुश्किलें....

बहुत मुश्किलें हैं

10 हज़ार की आबादी वाले इस गांव में 5 हज़ार तो मतदाता हैं। मगर हर मतदाता की जन्मतिथि 1 जनवरी।

हैरानी की बात ये है कि गांव के लोगों ने सहज जनसेवा केंद्र जाकर अलग-अलग दिन आधार कार्ड बनवाया था फिर भी उनकी जन्म तारीख एक हो गयी।

आगे स्लाइड में नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ...

गांव वालों का कहना है कि पूरे गांव की एक ही जन्मतिथि होने के कारण उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

प्रधान राम दुलारी कहती हैं कि पूरे गांव की जन्म तिथि एक होने के चलते गांव के लोगों को हर दिन मुश्किलें उठानी पड़ती हैं।

आगे स्लाइड में अधिकारियों को जानकारी नहीं...

 

सरकारी योजनाओं से वंचित होने के अलावा, बच्चों के दाखिले और ब्याह तक मे मुश्किल आती है।

आला अधिकारी इस सिलसिले में सूचना जुटाने के बाद ही जानकारी देने की बात कह रहे हैं।

लेकिन परेशान गांव वाले अब इस संकट से निकलने के लिए एसडीएम बारा का घेराव करने की चेतावनी दे रहे हैं।

 

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