आवारा पशुओं से किसानों को हो रहा नुकसान, गुहार लगाने के बाद भी नहीं सुन रहा प्रशासन
धरती के भगवान कहे जाने वाले किसानों को इस समय खाद और पानी चिंता नहीं है, बल्कि उन्हें आवारा जानवरों से फसलों को बचाने की है, क्योंकि खाद पानी की जरूरत तब पड़ेगी जब फसल खेतों में होगी।
महाराजगंज: धरती के भगवान कहे जाने वाले किसानों को इस समय खाद और पानी चिंता नहीं है, बल्कि उन्हें आवारा जानवरों से फसलों को बचाने की है, क्योंकि खाद पानी की जरूरत तब पड़ेगी जब फसल खेतों में होगी।
न रात में और न दिन में सोते हैं किसान
उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के किसानों की हालत अजीब हो गई है, क्योंकि वह न रात में सोते हैं और न दिन में। सिर्फ 24 घंटे हाथ में लाठी और खेतों में दौड़ लगा रहे हैं। कई महीने से यही सिलसिला चल रहा है। आवारा जानवरों की वजह से किसानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। शहर से लेकर गांव तक आवारा पशुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनकी बढ़ती संख्या से किसान परेशान हो गए हैं।
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फसलों को काफी नुकसना पहुंचा रहे आवारा पशु
देश के अन्नदाता किसान इस समय बेबसी और लाचारी की जिंदगी जी रहे हैं। आवारा पशु उनके फसलों को काफी नुकसना पहुंचा रहे हैं। ऐसे किसान रात दिन जागकर अपनी फसलों को बचा रहे हैं। शिकायतों के बाद भी शासन और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी कोई सुध नहीं ले रहे हैं। तेजी से बढ़ते आवारा पशु किसानों और आम लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं।
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जिले में पशुपालकों द्वारा बछड़ों को छोड़ दिए जाने की वजह से आवारा पशुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आवार पशुओं का झुंड गेहूं के फसल, सब्जियों समेत अन्य फसलों के खेत में घुसकर फसलों को नष्ट कर दे रहे हैं।
किसानों ने कहा, मन करता है खेती करना बंद कर दें
किसान रामाज्ञा का कहना है कि आवारा पशुओं की वजह से हमें रात दिन फसलों की देखभाली करनी पड़ रही है जिसकी वजह से हम अपने घर का कोई दूसरा काम नहीं कर पा रहे हैं। यही नहीं आवारा पशुओं से हमारी फसलों को इतना नुकसान हो रहा है कि हम परेशान हो गए हैं। हम इतना परेशान आ हो गए हैं कि मन करता है खेती करना बंद कर दें। उन्होंने बताया कि हमनें इसकी शिकायत प्रधान से लेकर प्रशासन तक किया, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। रामाज्ञा का कहना है कि आवारा पशुओं की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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वहीं दूसरे किसान सुभाष जायसवाल का कहना है कि हमने इसकी शिकायत प्रशासन से की और कहा भी हमारे गांव में सांड का आतंक बहुत है। खेतों को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं। आम लोग भी इसका शिकार हो जा रहे हैं। कुछ दिन पहले सांड के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसकी जानकारी प्रशासन को दी गई लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब आगे हम शासन और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करने के लिए विवश हो गए हैं।