यूपी में लड़की बने लड़के: क्यों उठाया इतना बड़ा कदम, मेडिकल कॉलेज में सर्जरी करवा कर बदला खुद को

Gender Reassignment Surgery: मेरठ में मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ सर्जन का कहना है कि करीब 4 घंटे तक चली जेंडर चेंज सर्जरी के बाद दोनो युवकों को लड़की बनाया गया है।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2022-06-12 04:38 GMT

मेरठ ने जेंडर सर्जरी कराकर दो युवक बने लड़की (social media)

First Gender Reassignment Surgery: 10 जून से पहले तक आयशा और सुनीता (काल्पनिक नाम) सलमान और अशोक थीं। लड़के के शरीर में जन्मे सलमान और अशोक दिल और दिमाग से लड़की थे। ख़ुद को आज़ाद कराने में सलमान को 18 साल और अशोक को 24 साल का लंबा सफ़र तय करना पड़ा। सालों तक ख़ुद में सिमट कर रहने के बाद उन्होंने सेक्स रिअसाइन्मेंट सर्जरी कराई और मनचाहा शरीर पा लिया। सेक्स रिअसाइन्मेंट सर्जरी या बोलचाल की भाषा में कहें तो 'सेक्स चेंज ऑपरेशन'।

4 घंटे चली सर्जरी

इन दोंनो युवकों की इच्छाओं को मूर्त रुप देने वाले मेरठ में स्थित एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ सर्जन डॉ सुधीर राठी का कहना है कि उनके और उनकी टीम द्वारा सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में करीब 4 घंटे चली सर्जरी के बाद दोनो युवकों को लड़की बनाया है। डॉ. राठी का यह भी दावा है कि पश्चिमी यूपी के मेडिकल कॉलेज में यह पहला मौका है। जब किसी पुरुष को नई तकनीक से पुरुष से महिला बनाया गया है। इनमें एक हिन्दू तो दूसरा मुस्लिम युवक है। डॉ.राठी के अनुसार, पुरुष से महिला बनने वाले दोंनो युवको में से एक की अस्पताल से छुट्टी कर दी गई है, जबकि एक युवक अभी भी अस्पताल में भर्ती है। उन्होंने बताया कि सर्जरी में बड़ी आंत का इस्तेमाल नई वैजाइना बनाने के लिए किया गया हैं।

परिजनों के साथ मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया 

डॉ.राठी के अनुसार, कुछ दिन पहले दोनों युवक ने अपने परिजनों के साथ मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया था, जिसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद दोंनो युवकों की सर्जरी की गई। दोंनो युवक बेशक अब लड़की बन गए हैं ,लेकिन ये शादी करने के बाद गर्भ धारण नहीं कर सकते हैं क्योंकि लड़कियों में एक्सएक्स क्रोमोसोम होते हैं, जबकि लड़कों में एक्सवई क्रोमोसोम। इनमें एक्सएक्स थे, जिस वजह से इनमें लड़कियों के लक्षण थे।

मेजिकल कॉलेज विभाग के चिकित्सकों की इस कामयाबी के बारे में पूछने पर प्राचार्य डॉ आरसी गुप्ता ने कहा कि मेडिकल साइंस ने अब इतनी तरक्की कर ली है कि जो जिस तरह से जिंदगी जीना चाहता है जी सकता है। प्राचार्य डॉ आरसी गुप्ता की मानें तो मेडिकल कॉलेज सर्जरी के लिए किसी को दिल्ली या किसी और हाई सेंटर जाने की जरूरत नहीं है।

इस मामले में शहर के विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि सेक्स चेंज ऑपरेशन से पहले इस बात की पुष्टि होनी ज़रूरी है कि शख़्स को 'जेंडर डिस्फ़ोरिया' है या नहीं। इसके लिए सायकायट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी पड़ती है. लंबी बातचीत और सेशन्स के बाद सायकायट्रिस्ट इस नतीजे पर पहुंचता है कि मामला 'जेंडर डिस्फ़ोरिया' का है या नहीं।अगर ऐसा है तो ट्रीटमेंट की शुरुआत 'हॉर्मोनल थेरेपी' से की जाती है। यानी जिस हॉर्मोन की ज़रूरत है वो दवाओं और इंजेक्शन के ज़रिए शरीर में पहुंचाया जाता है।

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