जयंती विशेष: गोपाल दास नीरज ने इन फिल्मों में लिखे थे गीत, जानिए रोचक बातें

गोपाल दास नीरज के गीतों की लोकप्रियता आसमान पर थी। इसके प्रभावित होकर फिल्म निर्माता आर चंद्रा ने पहली बार गीत लिखने का मौका दिया। नीरज ने आर चंद्रा की फिल्म ''नई उमर की नई फसल'' के लिए गाना लिखा था।

Update:2021-01-04 11:42 IST
गोपालदास नीरज का जन्म चार जनवरी 1925 को इटावा जिले के गांव पुरावली में हुआ थे। जब वह सिर्फ 6 साल के थे तभी उनके पिता बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना का निधन हो गया।

लखनऊ: महाकवि गोपाल दास नीरज की आज जयंती है। गोपालदास नीरज का जन्म चार जनवरी 1925 को इटावा जिले के गांव पुरावली में हुआ थे। जब वह सिर्फ 6 साल के थे तभी उनके पिता बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना का निधन हो गया। उनका बचपन बिना पिता के साए के बीता। उन्होंने प्राइवेट नौकरी करने के साथ-साथ पढ़ाई पूरी की।

1953 में हिंदी साहित्य से एमए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्हें मेरठ कॉलेज में प्राध्यापक की नौकरी मिल गई। फिर वह अलीगढ़ आ गए और डीएस कॉलेज में प्राध्यापक की नौकरी करने लगे। मैरिस रोड स्थित जनकपुरी में स्थाई आवास बना लिया और यहीं रहने लगे। इस दौरान नीरज को काव्य मंचों पर अपार लोकप्रियता मिल चुकी थी।

कहा जाता है कि प्रख्यात गीतकार गोपाल दास नीरज चलते-फिरते महाकाव्य थे। नीरज पद्मविभूषण और लगातार तीन बार फिल्मफेयर पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनका कहना था कि आत्मा का शब्द रूप है काव्य। मानव होना अगर भाग्य है तो कवि होना मेरा सौभाग्य...।

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इस फिल्म में पहली बार लिखे थे गीत

गोपाल दास नीरज के गीतों की लोकप्रियता आसमान पर थी। इसके प्रभावित होकर फिल्म निर्माता आर चंद्रा ने पहली बार गीत लिखने का मौका दिया। नीरज ने आर चंद्रा की फिल्म ''नई उमर की नई फसल'' के लिए गाना लिखा था। आर चंद्रा अभिनेता भारत भूषण के बड़े भाई थे और वह अलीगढ़ में ही पले बढ़े थे। उनका भी अलीगढ़ से खास जुड़ाव था।

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नीरज 1964 में गीत लेखन के लिए मुंबई चले गए। आर चंद्रा की फिल्म 1966 में रिलीज हुई, हालांकि फिल्म कोई जलवा नहीं दिखा पाई। लेकिन मो. रफी की आवाज में ''कारवां गुजर गया'' गीत हो गया। गोपाल दास नीरज ने 1967 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ''मझली दीदी'', 1968 में फिल्म दुनिया, 1970 में मेरा नाम जोकर, फिल्म चंदा और बिजली, प्रेम पुजारी, 1971 में पहचान व शर्मीली समेत खई फिल्मों के लिए गीत लिखे। गोपाल दास नीरज के कई अभिनेता कायल हो गए थे जिसमें राजकपूर, मनोज कुमार, शशि कपूर व देवानंद जैसे नाम शामिल हैं।

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मुंबई नहीं आई पसंद

नीरज फक्कड़ और तूफानी मिजाज के लिए जाते थे और उनको मुंबई पसंद नहीं आई। वह 1971 में मुंबई को हमेशा के लिए छोड़कर चल आए। नीरज को भारत सरकार ने 1991 में पद्मश्री व 2007 में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया। उन्होंने 19 जुलाई 2018 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

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