Gorakhpur News: आचार्य रामचन्द्र तिवारी का साहित्य नई पीढ़ी के लिए पथ प्रदर्शक, बोले हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप

Gorakhpur News: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने रविवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित आचार्य रामचंद्र तिवारी की चर्चित पुस्तक ‘हिंदी का गद्य साहित्य’ के 15वें संस्करण के लोकार्पण किया।

Update: 2024-02-04 13:47 GMT

आचार्य रामचन्द्र तिवारी का साहित्य नई पीढ़ी के लिए पथ प्रदर्शक, बोले हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप: Photo- Newstrack

Gorakhpur News: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने रविवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित आचार्य रामचंद्र तिवारी की चर्चित पुस्तक ‘हिंदी का गद्य साहित्य’ के 15वें संस्करण के लोकार्पण किया। हिंदी एवं आधुनिक भाषा तथा पत्रकारिता विभाग के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि आचार्य आचार्य रामचंद्र तिवारी ने हिंदी साहित्य में जो नींव रखी है वह नई पीढ़ी का पथ प्रदर्शित करेगा।

राज्यपाल ने कहा कि तिवारी जी को मैं एक आदर्श अध्यापक और महामानव के रूप में जानता हूं। उनके भीतर अपने ज्ञान को लेकर कोई अहंकार नहीं था। राज्यपाल ने लोकार्पित पुस्तक की विशेषताओं की विस्तार से चर्चा करते हुए विश्वविद्यालय से आचार्य तिवारी के ऊपर केंद्रित एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने की अपेक्षा की और इस निमित्त एक लाख रुपये देने की भी घोषणा की।


केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के उपाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र दुबे ने फिराक गोरखपुरी की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि हम लोग भाग्यशाली हैं कि हम तिवारी जी के छात्र हैं। उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा प्रो. रामचंद्र तिवारी पर बृहद आयोजन करवाने की पेशकश की। पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.अनंत मिश्र ने कहा कि प्रो. रामचंद्र तिवारी का व्यक्तित्व उस दर्पण की भांति था जिसके सामने आते ही स्वयं का दोष दिखाई देने लगता था। प्रो.कृष्ण चंद्र लाल ने प्रो. रामचंद्र तिवारी को याद करते हुए कहा कि प्रो. तिवारी की यह पुस्तक आचार्य रामचंद्र के शुक्ल के 'हिंदी साहित्य का इतिहास' की पूरक है।


प्रो. लाल ने आगे कहा कि मैंने उन्हें आदर्श शिक्षक आलोचक, साहित्यकार के रूप में ही पाया। जोड़-तोड़ से वह हमेशा दूर रहे। प्रो. अनिल कुमार राय ने कहा कि हजार पृष्ठों में फैले इस पुस्तक ने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रो. चितरंजन मिश्र ने प्रो. रामचंद्र तिवारी से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि तिवारी जी विद्यानुरागी व्यक्ति थे जिनके अनुसार अध्यापक किसी के अधीन नहीं होता है बल्कि केवल विद्या के अधीन होता है।


कुलपति ने की हिन्दी विभाग की प्रशंसा

इसके पूर्व अपने अध्यक्षीय के उद्बोधन में कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने हिंदी और पत्रकारिता विभाग की प्रशंसा करते हुए इसे देश के विश्वविद्यालयों के हिंदी के सर्वश्रेष्ठ विभाग में से एक बताया। इसके साथ ही कुलपति ने इस विभाग की जनसंचार एवं पत्रकारिता इकाई की भी तारीफ की। कार्यक्रम को विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केसी लाल, प्रो. सुरेंद्र दुबे, प्रो. अनंत मिश्र, प्रो. चितरंजन मिश्र और प्रो. अनिल कुमार राय ने भी संबोधित किया। अपने स्वागत वक्तव्य में हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के प्रति विभाग की ओर से आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार ज्ञापन प्रो. रामचंद्र तिवारी के पुत्र डॉ. धर्मव्रत तिवारी और प्रेमव्रत तिवारी ने किया।

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