Gorakhpur News: पुलिस की सुस्ती और सक्रियता से तय हो रही अपराध की टाइमिंग, क्राइम मैपिंग से सामने आए आंकड़े चौंकाने वाले

Gorakhpur News: आंकड़े बता रहे हैं कि गोरखपुर में शाम होते ही बदमाश सक्रिय हो जाते थे। उन्हें जहां मौका मिलता था वहीं लूट की वारदात को अंजाम दे देते थे, जबकि रेंज के महराजगंज और कुशीनगर में दोपहर से पहले तो वहीं देवरिया में दोपहर बाद वारदात करने बदमाश सड़क पर निकल पड़ते थे।

Update:2024-11-03 08:30 IST

Gorakhpur News (Pic- Newstrack)

Gorakhpur News: जिस तरह क्रिकेट में एक-एक गेदबाज और बल्लेबाज की ताकत और कमजोरी पर कोच रिसर्च कर रहे हैं, उसी तरह अपराधी भी पुलिस की सक्रियता और सुस्ती को देखकर अपराध की टाइमिंग को तय कर रहे हैं। इसका खुलासा क्राइम मैपिंग के जरिये टाइम और हॉटस्पाट का आकलन करने से हुआ है। यूपी पुलिस ने प्रदेश भर में अपराध नियंत्रण करने के लिए शोध किया है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के जरिए क्राइम के वक्त, महीना और कैटेगरी का डेटा बनाया जा रहा और जिला तथा थानेवार डेटा पर अनुसंधान कर क्राइम के समय और स्पाट पर गश्त पर बढ़ाकर अपराध को रोका जा रहा है।

आंकड़े बता रहे हैं कि गोरखपुर में शाम होते ही बदमाश सक्रिय हो जाते थे। उन्हें जहां मौका मिलता था वहीं लूट की वारदात को अंजाम दे देते थे। जबकि रेंज के महराजगंज और कुशीनगर में दोपहर से पहले तो वहीं देवरिया में दोपहर बाद वारदात करने बदमाश सड़क पर निकल पड़ते थे। लेकिन अब उसी समय पुलिस के सक्रिय होने से लूट के अपराध में लगातार कमी आ रही है।

ऐसे काम कर रही यूपी पुलिस

यूपी पुलिस अपराध रोकने के लिए पिछले पांच साल से बड़े पैमाने पर काम कर रही है। इसमें पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के डेटा की भी मदद ली जा रही है। सीटीएनएस और डायल 112 पर आने वाली सूचनाओं के हिसाब से तैयार डेटा में वारदात की संख्या, समय व स्थान के साथ ही इलाके की डिटेल, इलाकेवार क्राइम और उसके तरीके पर अनुसंधान कर जानकारी दी जा रही है। यह डेटा अफसरों के पास भी रहता है जिससे किस इलाके में किस तरह के क्राइम हो रहे हैं? इसके पीछे की मंशा क्या है? वारदात के स्थान के साथ ही साथ किस समय पर और किस महीने में घटना हो रही है? आदि का आकलन कर पुलिस बंदोबस्त को वह भी दुरुस्त कर सके।

गोरखपुर में सुबह ही हो रही चेन स्नेचिंग

वारदात का समय ही नहीं, किस समय किस तरह की वारदात हुई इसका भी जब आकलन किया गया तो पता चला है कि सुबह के समय चेन स्नेचिंग, शाम को महिलाओं के पर्स और मोबाइल स्नेचिंग की बीते कुछ सालों में ज्यादा घटनाएं हुईं। यानी सुबह जब महिलाएं मार्निंग वॉक पर निकलीं तब उनके साथ चेन स्नेचिंग हुई। बदमाशों को यह लगा कि सुबह पुलिस सो रही होगी इसका फायदा उठाया जाए। शाम के समय महिलाएं बाजार या अन्य स्थानों से घर के लिए निकलीं तो सुनसान स्थानों पर उन्हें बदमाशों ने शिकार बनाया। वहीं देहात के इलाकों में रात में सुनसान सड़कों से घर लौट रहे लोगों को रास्ते में रोक कर बदमाशों ने उनके साथ लूट की।

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