Gorakhpur News: कोतवाली थाने की बैरक होगी खाली, परमहंस योगानंद की जन्मस्थली पर बनेगा संग्रहालय

Gorakhpur News: परमहंस योगानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कोतवाली क्षेत्र के मुफ्तीपुर में पांच जनवरी 1893 को हुआ था।

Update: 2024-06-06 02:26 GMT

योगानंद परमहंस  (photo: social media )

Gorakhpur News: देश-दुनिया को क्रिया योग की बारीकियां बताने वाले परमहंस योगानंद का जन्म जहां हुआ था, वहां गोरखपुर कोतवाली पुलिस ने बैरक बना रखा है। अब पर्यटन विभाग इस बैरक को पुलिस से खाली करने की तैयारी में है। इसके लिए एसएसपी को पत्र लिखा गया है। इस स्थान पर परमहंस योगानंद का संग्राहलय बनाया जाएगा। ताकि देश-विदेश में उनके मानने वाले यहां आकर उनकी विरासत को देख सकें। हालांकि, पुलिस भी इसे खुद के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए 1906 से ही काबिज होने की दलील दे रही है।

परमहंस योगानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कोतवाली क्षेत्र के मुफ्तीपुर में पांच जनवरी 1893 को हुआ था। यहीं पर उनके पिता भगवती चरण घोष सपरिवार किराए के मकान में रहते थे। पर्यटन विभाग का मानना है कि यहां वर्तमान में पुलिस की बैरक है वहीं योगानंद का जन्म हुआ था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही इसे धरोहर के रूप में इसे विकसित करने के लिए योजना तैयार कराने का निर्देश दिया था। अब इसके लिए बजट का आवंटन भी हो चुका है। एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि पर्यटन विभाग की ओर से पत्र आया है। बैरक के बारे में जानकारी लेकर पत्र का जवाब भेजा जाएगा।

ईश्वर से साक्षात्कार का प्रभावी तरीका है क्रिया योग

क्रिया योग को ईश्वर से साक्षात्कार का प्रभावी तरीका मानने वाले योगानंद ने भारतीय योग दर्शन के प्रसार के लिए अमेरिका में ‘सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप’ का गठन किया और बाद में भारत में योगदा सत्संग सोसाइटी बनाई। ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी (हिंदी में योगी कथामृत) उनकी सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब है, जिसका अनुवाद कई भाषाओं में हुआ। इसी योग क्रिया को बढ़ावा देने वाले परमहंस योगानंद की जन्मस्थली के रूप में कोतवाली थाने की बैरक को विरासत बनाने की तैयारी है। संग्राहालय के निर्माण के लिए शासन से धन भी आ गया है और पर्यटन विभाग भवन हैंडओवर होने के इंतजार में है।

परिसर में लगेगा योगानंद का बड़ा स्टैच्यू

जिस आवास में परमहंस योगानंद रहते थे, उस परिसर को योग केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। परिसर में ही उनका बड़ा स्टैच्यू लगेगा। इसके अलावा लाइब्रेरी, म्यूजियम, गार्डेन, कैफेटेरिया, फोटो गैलरी, हॉल आदि बनाया जाएंगे। जिस कमरे में परमहंस योगानंद रहते थे, उसमें उनकी खड़ाऊं, रुद्राक्ष की मालाएं, लैंप और पुस्तकें थीं। जिसे सुरक्षित रखा गया है। बता दें कि परमहंस योगानंद जी की पुस्तक योगी कथामृत अथवा जहां है प्रकाश एक प्रकार से लोगों के लिए ध्यान के प्रवेश द्वार का कार्य करती है।

पिता ने बंगाली लोगों के साथ बनाई थी कंपनी

योगानंद के पिता भगवती चरण घोष ने ही उस समय सरकारी कार्यों में आपूर्ति व ठेके के संबंध में कुछ बंगालियों के साथ मिलकर घोष कंपनी बनवाई थी। उसी नाम से आज भी गोरखपुर में घोष कंपनी चौराहा मशहूर है। परमहंस योगानंद के जीवन के प्रथम आठ वर्ष यहीं व्यतीत हुए। उनके पिता रेलवे के प्रथम जनरल मैनेजर होने के साथ ही पीडब्ल्यूडी व कई विभागों के मुखिया भी थे।

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