भाषाएं जोड़ने का काम करती हैं: राम नाईक

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’के असमिया संस्करण का लोकार्पण शनिवार को गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र प्रेक्षागृह में हुआ।

Update:2019-07-06 22:15 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’के असमिया संस्करण का लोकार्पण शनिवार को गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र प्रेक्षागृह में हुआ। इस दौरान डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर राज्यपाल नाईक सहित अन्य महानुभावों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में चाणक्य वार्ता पूर्वोत्तर राज्यों पर केन्द्रित विशेषांक का विमोचन भी हुआ।

इस मौके पर राज्यपाल ने लेखक की भूमिका में बोलते हुए कहा कि भाषायें जोड़ने का काम करती हैं। यह सुखद संगम आज पुस्तक विमोचन समारोह में देखने को मिल रहा है। पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने मराठी दैनिक सकाल में प्रकाशित अपने संस्मरणों का संकलन किया है, जिसे पुस्तक ‘चरेवैति!चरेवैति!!’ का रूप दिया गया है। ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ का अब तक मराठी सहित हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, संस्कृत, सिंधी, अरबी, फारसी तथा जर्मन भाषा और ब्रेल लिपि में हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी में लोकार्पण हुआ है। अब असमिया भाषा में प्रकाशन होने से पुस्तक 11 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि 3 भाषाओं में पाठकों के लिये उपलब्ध है। किसी संस्मरणात्मक पुस्तक का इतनी भाषाओं में प्रकाशन एक उपलब्धि के समान है।

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बतौर मुख्य अतिथि आसम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि संवेदनशील मन जनरोष का इंतजार नहीं करता बल्कि पहले ही समाधान करता है। ऐसे ही संवेदनशील प्रकृति के हैं श्री नाईक। एक आदर्श नेता का आचरण कैसा होता है इसको जानना है तो पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ पढ़िये।

आसाम के मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि सुखद संयोग है कि आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती है और आज ही पुस्तक का विमोचन हो रहा है। पुस्तक में प्रस्तावना लिखवाने पर श्री नाईक का अभिनन्दन किया तथा कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि उन्हें ऐसे अनुकरणीय मार्गदर्शक की पुस्तक में शामिल होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि आसाम के लोग पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ से प्रेरणा प्राप्त करेंगे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि पुस्तक प्रेरणादायक है। पुस्तक विमोचन के दो समारोह में उपस्थित हुआ हूं और आगे यदि अन्य भाषा में पुस्तक का प्रकाशन होता है तो वहां भी जरूर उपस्थित रहूंगा। ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ केवल पुस्तक नहीं बल्कि ऐसे जीवन का प्रयास है, जिसने विचारों की प्रतिबद्धता के आधार पर अपना स्थान बनाया है। श्री नाईक ने हर जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाया है। कुष्ठपीड़ितों, मछुवारों और महिलाओं के लिये किये गये उनके प्रयास अद्भुत हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने कर्मों से बड़ा बनता है।

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मेघालय के राज्यपाल तथागत राय ने कहा कि श्री नाईक की पुस्तक 11 भाषाओं में प्रकाशित हुई है। उनके द्वारा किये गये कार्य सराहनीय हैं। पुस्तक का प्रकाशन बांग्ला भाषा में भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़कर लगता है कि किसी व्यक्ति विशेष की जीवनी पढ़ रहे हैं।

अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल डॉ. बीडी मिश्रा ने राम नाईक को बधाई देते हुये कहा कि उनकी कार्यशैली विशिष्ट है। असम भाषा में पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ का प्रकाशन होने से पूर्वोत्तर भारत के निवासी श्री नाईक के जीवन से प्रेरणा प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि पुस्तक का प्रकाशन अन्य भारतीय भाषाओं में भी होना चाहिए।

सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि जीवन का लक्ष्य बढ़ते रहना होना चाहिए। नाईक प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि उनका जीवन संघर्ष और सेवा का पर्याय है।

उप्र सरकार के ग्राम्य विकास एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा नाईक में युवाओं जैसी ऊर्जा है, वे क्रांति के प्रतीक हैं। उन्होंने हर क्षेत्र व वर्ग के लोगों के लिये काम किया। कुष्ठपीड़ितों को निर्वहन भत्ता तथा 3,791 कुष्ठ पीड़ितों को 46 करोड़ रुपये से बनने वाले पक्के आवास दिलाने में महत्वपूर्ण प्रयास किया है।

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कार्यक्रम में चाणक्य वार्ता समूह ने बताया कि राज्यपाल राम नाईक ने एक मुलाकात के दौरान उन्हें पुस्तक भेंट की थी। उन्होंने पुस्तक पढ़ी। पुस्तक सामाजिक जीवन में कार्य करने वालों के लिये अत्यंत प्रेरणादायी है। उन्होंने राज्यपाल से पुस्तक के असमिया भाषा में अनुवाद की बात कही थी, जिससे यह अधिक से अधिक असमी भाषी लोगों तक पहुंच सके और उन्हें प्रेरणा प्रदान करे। इस अवसर पर चाणक्य वार्ता के संरक्षक लक्ष्मी नारायण भाला, चाणक्य वार्ता के सम्पादक एवं दिव्य परिवार के अध्यक्ष डॉ. अमित जैन तथा अवनीश कुमार ने भी अपने विचार रखे।

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