Hardoi News: दो सौ लीटर डीज़ल व साइकिल भत्ते पर पुलिस पर क्राइम कंट्रोल का जिम्मा

Hardoi News: सिपाहियों को अंग्रेजों के जमाने की व्यवस्था के मुताबिक ही भुगतान मिल रहा है। सोचने वाली बात यह है कि अब इस जमाने मे साइकिल से चलता ही कौन है फिर भी उनको साइकिल भत्ता दिया जा रहा है।

Update:2023-04-13 17:00 IST
police sipahi work (photo: social media )

Hardoi News: सुरक्षा का भरोसा देते हुए बदमाशों की निगरानी करने वाले सिपाही दो सौ रुपए के साइकिल भत्ते पर पूरे महीने दौड़ रहे हैं थाने में जिनके भरोसे पुलिसिंग चल रही है। वह अपनी जेब से बाइक में पेट्रोल भरा रहे हैं । रोज के कामों में सिपाही का कम से कम एक लीटर पेट्रोल खत्म हो रहा है। वहीं सिपाहियों को अंग्रेजों के जमाने की व्यवस्था के मुताबिक ही भुगतान मिल रहा है।

सोचने वाली बात यह है कि अब इस जमाने मे साइकिल से चलता ही कौन है फिर भी उनको साइकिल भत्ता दिया जा रहा है। पुलिस महकमे से जुड़े लोगों का कहना है कि पुलिस के कामकाज का तरीका बदल रहा है। एक तरफ जहां मोबाइल के जरिए चीजें आसान हुई हैंवहीं काम के प्रेशर में बढ़ी दौड़भाग से जेब का खर्च भी बढने लगा है। बीट पर निकलने वाले कांस्टेबल को रोजाना कम से कम एक लीटर पेट्रोल खर्च करना पड़ता हैअधिकांश लोगों का एक दिन का बाइक का खर्च ही दो सौ रुपए से अधिक होता है। जबकि हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल के लिए दो सौ रुपए प्रतिमाह साइकिल भत्ता निर्धारित है। ऐसे में सभी को अपनी जेब से ही रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

कम भत्ते में एक सिपाही को करने होते है यह कार्य

बीट से आने वाली शिकायतों की जांच करके उसकी रिपोर्ट तैयार करना ,बीट एरिया में मौजूद बदमाशों की निगरानी करना, उनके बारे में जानकारी उपलब्ध कराना शमन, नोटिस - तामिलाआर्म्स लाइसेंस, पासपोर्ट, कैरेक्टर सहित अन्य तरह की जांच की जिम्मेदारी - शांति भंग की आशंका में पाबंदी, चालानी रिपोर्ट करने आरोपितों की धर-पकड़ का कामएरिया में होने वाले क्राइम की सूचना बीट में दर्ज करनालेखपाल और राजस्व कर्मचारियों से बेहतर संबंध बनाना।सभ्रांत लोगों के बीच में जाकर उनको व्हाट्सएप ग्रुप से जोडना, एरिया में चल रही गतिविधियों की जानकारी लेना।

दो सौ लीटर डीज़ल में क्षेत्र से लेकर मुख्यालय तक की लगानी पड़ती है दौड़

कम भत्ता मिलने से सिपाही ही नहींबल्कि थानेदार भी परेशान हैंथानेदार की टाटा सूमो को महीने भर गश्त करने के लिए मात्र दो सौ लीटर डीजल ही मिलता हैजबकि हर सूचना पर थानेदार की सरकारी गाड़ी अपने एरिया में दौड़ती रहती हैकभी मीटिंग तो कभी वीआईपी ड्यूटी सहित कई तरह की जिम्मेदारी अलग से उठानी पड़ती हैऐसे में दो सौ लीटर डीजल में महीने भर जीप चला पाना काफी मुश्किल होता हैइतना ही नहीं है थाने पर पकड़कर लाए जाने वाले मुल्जिमों के लिए थानेदार को एक दिन का सिर्फ 25 रुपया ही मिलता है

किसको कितना मिलता है भत्ता

एसआई को हर माह बाइक भत्ता- 700 रुपए

दीवान और कांस्टेबल को साइकिल भत्ता- 200 रुपए

थाने की जीप को पेट्रोलिंग के हर माह डीजल दो सौ लीटर

पकड़े गए मुल्जिमों का लंच, ब्रेकफास्ट- 25 रुपए प्रतिदिन

कोबरा बाइक के लिए- 30 लीटर प्रत्येक माह

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