Hardoi News: बिलग्राम एसडीएम को सांसद की नाराज़गी पड़ी भारी, हटाए गए अधिकारी, जानिए क्या था मामला

Hardoi News: सांसद अशोक रावत की नाराजगी उपजिलाधिकारी बिलग्राम को महंगी पड़ गई। उनको उपजिलाधिकारी बिलग्राम से हटाकर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात कर दिया गया।

Update: 2023-07-05 14:19 GMT
बिलग्राम एसडीएम को सांसद की नाराज़गी पड़ी भारी, हटाए गए अधिकारी: Photo- Newstrack

Hardoi News: सांसद अशोक रावत की नाराजगी उपजिलाधिकारी बिलग्राम को महंगी पड़ गई। उनको उपजिलाधिकारी बिलग्राम से हटाकर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात कर दिया गया। बताते चलें बिलग्राम के उप जिलाधिकारी नारायण सिंह ने नगरपालिका अध्यक्ष शपथ ग्रहण समारोह में सांसद अशोक रावत का इंतजार किए बगैर नवनिर्वाचित अध्यक्ष व सभासदों को शपथ दिला दी थी। इस पर सांसद ने भारी नाराजगी जताई थी। उन्होंने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करने के साथ ही उप जिलाधिकारी के इस व्यवहार पर उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी। शपथ ग्रहण समारोह में भरे मंच पर उन्होंने उप जिलाधिकारी के इस व्यवहार को अत्यंत निंदनीय बताया था। इसी नाराजगी का परिणाम बुधवार को उन्हें झेलना पड़ा।

एसडीएम बिलग्राम बने अतिरिक्त मजिस्ट्रेट

उन्हें उप जिलाधिकारी बिलग्राम से स्थानांतरित कर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट बना दिया गया इस स्थानांतरण की चर्चा जिले में जोरों पर है। अब संजीव ओझा को बिलग्राम का उप जिलाधिकारी बनाया गया है। अभी तक वह मुख्यालय पर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य देख रहे थे। बताते चलें इससे पूर्व भी बिलग्राम में तैनात रहे श्री सिंह की कार्यप्रणाली को लेकर कई बार लोगों ने सवालिया निशान लगाए। कई बार वह सुर्खियों में आए। अंत में सांसद के साथ किए गए इस व्यवहार के चलते उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।

यूपी में अफ़सरशाही पर लगातार उठ रहे सवाल

गौरतलब है कि शासन से लेकर प्रशासन तक के अधिकारियों की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। यूपी के अफ़सरों पर ट्रांसफ़र पोस्टिंग में मनमानी की बात भी सामने आ चुकी है। हरदोई के भी कई जनप्रतिनिधि अधिकारियों के रवैये से नाखुश हैं। हाल भी में एमएलसी का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें एमएलसी ने संडीला के एक अधिकारी के व्यवहार पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए मामले की शिकायत की थी। अब उपजिलाधिकारी बिलग्राम का ट्रांसफर होने के बाद जनपद में यह चर्चा जोरों पर है कि जनप्रतिनिधियों के कामों की अवहेलना करना अधिकारियों को भारी पड़ सकता है।

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