हाथरस में आतंकी साजिश: गैंगरेप का उठाया फायदा, हुआ ये बड़ा खुलासा...

हाथरस मामले में एजेंसियों ने दावा किया है कि लोगों के बीच गलत सूचनाएं फैला कर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई, जो कि योगी सरकार को दंगों की आग में झोंकने की साजिश के तहत किया गया। 

Update: 2020-10-05 05:12 GMT
सवाल उठ रहा है कि अगर विधायक कोरोना से संक्रमित थे तो फिर वो परिजनों से मिलने क्यों पहुंचे थे। क्योंकि पॉजिटिव आने के बाद 15 दिन तक क्वारंटीन होना होता है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित लड़की के साथ हुई दरिंदगी और फिर उसकी मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया। पीड़िता की मौत के बाद से देशभर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की जा रही है। इसी के साथ हाथरस मामले में सियासी घमासान भी जारी है। इस बीच जांच एजेंसियों को कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। खुफिया एजेंसियों का दावा है कि लोगों के बीच गलत सूचनाएं फैला कर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई, जो कि योगी सरकार को दंगों की आग में झोंकने की साजिश के तहत किया गया।

योगी सरकार के खिलाफ रची गई साजिश

जांच एजेंसियों का दावा है कि योगी सरकार को दंगों की आग में झोंकने के लिए राष्ट्रविरोधी तत्वों ने अमेरिका की तर्ज पर रातों रात जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम के नाम से एक वेबसाइट बनाई। जिसके जरिए गलत सूचनाएं प्रचारित करके माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं इस वेबसाइट के जरिए अफवाहों को फैलाने के लिए विदेशों से फंडिंग भी की गई। फिलहाल जांच एजेंसियों के रेड के बाद वेबसाइट बंद हो चुकी है, लेकिन पुलिस के पास इसके सभी केंटेंट मौजूद हैं।

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हाथरस कांड (फोटो- सोशल मीडिया)

इस्लामिक देशों से की गई फंडिंग

जांच एजेंसियों ने बताया कि जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम नाम के इस वेबसाइट के माध्यम से विरोध प्रदर्शन की जानकारी दी जा रही थी। यही नहीं एजेंसियों को इस वेबसाइट के तार एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े होने के भी संकेत मिले हैं। साथ ही इस्लामिक देशों से फंडिंग की भी जानकारी हाथ लगी है। इस वेबसाइट में फेक आईडी से सैकड़ों लोगों को जोड़ने का काम किया गया और मदद के नाम पर फंडिंग भी जुटाई गई। इसके लिए कुछ जाने माने लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट का भी यूज किया गया।

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वेबसाइट को बनाने में PFI और SDPI की भूमिका

एजेंसियों के मुताबिक, इस वेबसाइट को बनाने में PFI और SDPI की भूमिका भी सामने आई है। जांच में सामने आया है कि पीएफआई और एसडीपीआई ने इस वेबसाइट को तैयार करने में मदद की है। बताया जा रहा है कि वेबसाइट पर विरोध-प्रदर्शन के बहाने देशभर और प्रदेश में दंगा भड़काने की साजिश बताई गई थी। साथ ही दंगों के बाद बचने का तरीका भी बताया गया था। साथ ही चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रदर्शन की आड़ में कैसे निशाना बनाना है, इसको भी बताया गया था। वेबसाइट पर देश और प्रदेश में नफरत कैसे फैलानी है, इसे लेकर जानकारी दी गई थी।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

बहुसंख्यक समाज में फूट डालने की थी साजिश

जानकारी के मुताबिक, इस्लामिक देशों और कट्टरपंथी संगठनों से बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए फंडिंग किया गया था। कहा जा रहा है कि योगी सरकार से बदला लेने के लिए CAA हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा यह वेबसाइट तैयार की गई थी। केवल यही नहीं एजेंसियों को गलत तरह से सूचनाएं प्रचारित करने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरुपयोग के भी अहम सुराग मिले हैं। कहा जा रहा है कि अमेरिका के ही तर्ज पर उत्तर प्रदेश में जातीय दंगे कराने की तैयारी थी।

बताया जा रहा है कि वेबसाइट ने हेट स्पीच और भड़काऊ सियासत की भी स्क्रिप्ट तैयार की थी। हालांकि रविवार देर रात हुई छापेमारी के बाद रात को ही यह वेबसाइट बंद कर दी गई थी।

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