HC ने सचिव बेसिक से पूछा, टीचर बनने के लिए यूपी में कौन सी हैं डिग्रियां मान्य
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कुमारी पल्लवी और मनीष कुमार पाण्डेय और अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता का कहना है कि याचीगण अरूणांचल प्रदेश के कमेंग पूर्व जिले में सेपा में स्थित डायट से डीएलएड दो वर्षीय डिप्लोमा धारक है और टीचर एलिजिबिलटी टेस्ट (टीईटी) पास है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के अन्तर्गत एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना को अस्वीकार करने पर सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद (UPBEB) से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।
कोर्ट ने पूछा है कि कौन सी डिग्री प्रमाणपत्र को सहायक अध्यापक नियुक्ति के लिए सरकार वैध योग्यता मानती है। कोर्ट ने कहा कि यदि जवाब नहीं दाखिल होता तो सचिव कोर्ट में अगली सुनवाई की तिथि 31 अक्टूबर को हाजिर हों।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कुमारी पल्लवी और मनीष कुमार पाण्डेय और अन्य की याचिका की सुनवाई करते
हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता का कहना है कि याचीगण अरूणांचल प्रदेश के कमेंग पूर्व जिले में सेपा में स्थित
डायट से डीएलएड दो वर्षीय डिप्लोमा धारक है और टीचर एलिजिबिलटी टेस्ट (टीईटी) पास है।
इस डिप्लोमा को नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त है। याचीगण ने प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक के लिए सिद्धार्थनगर जिले में काउंसिलिंग में हिस्सा लिया।
निर्धारित न्यूनतम अंक से अधिक अंक पाने के बावजूद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी चयन सूची में शामिल नहीं
किया गया जिसे चुनौती दी गयी तो कोर्ट ने सरकार को निर्णीत लेने का आदेश दिया। दो बार अवमानना याचिका दाखिल कर दबाव डालने के बाद यह कहते हुए याचीगण का प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया कि एनसीटीई की अधिसूचना राज्य सरकार के कानून और नियमावली पर प्रभावी नहीं होगा।
याची का कहना है कि 23 अगस्त 2010 की एनसीटीई की अधिसूचना बाध्यकारी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे प्रभावी करार
दिया है। राज्य का दायित्व है कि वह एनसीटीई की गाइडलाइन को लागू करे। इस पर कोर्ट ने सचिव से पूछा है कि कौन-कौन सी डिग्रियां व प्रमाण पत्र वैध योग्यता है जिनके आधार पर सहायक अध्यापक नियुक्ति किया जाए। सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।