रामदेव के पतंजलि संस्थान के लिए हरे पेड़ों की कटाई पर HC सख्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा, गौतमबुद्ध नगर में हजारों हरे पेड़ काटने को गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार के वकील से पूछा है कि वह जानकारी प्राप्त कर बताएं कि किसके आदेश पर हरे पेड़ों पर बुलडोजर चलाए गए।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा, गौतमबुद्ध नगर में हजारों हरे पेड़ काटने को गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार के वकील से पूछा है कि वह जानकारी प्राप्त कर बताएं कि किसके आदेश पर हरे पेड़ों पर बुलडोजर चलाए गए।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि व्यक्तिगत क्षति की भरपाई तो की जा सकती है लेकिन समाज को पहुंचने वाली क्षति की भरपाई क्या मुआवजा देकर की जा सकती है। कोर्ट ने 30 अगस्त को जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
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यह आदेश जस्टिस तरूण अग्रवाल और जस्टिस अशोक कुमार की खंडपीठ ने औसाफ और आठ अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचीगण का कहना है कि दो सौ बीघा जमीन उन्हें तीस साल के लिए वृक्षारोपण करने के लिए पट्टे पर दी गई है। पट्टा अभी भी निरस्त नहीं हुआ है। इसको लेकर सिविल वाद भी चल रहा है।
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याची वकील का कहना है कि यमुना एक्सप्रेस वे अथाॅरिटी ने 3 जून 2017 को याचीगण की जमीन के अलावा कुल 4500 एकड़ जमीन बाबा रामदेव के पतंजलि योग संस्थान को कंपनी स्थापित करने के लिए दे दी गई है और जमीन पर खड़े हजारों हरे पेड़ बिना पर्यावरण विभाग की अनुमति लिए काटे जा रहे हैं।
अथाॅरिटी की तरफ से वकील कृष्ण अग्रवाल का कहना था कि अथाॅरिटी ने पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी है। कोर्ट ने पूछा कि किसके आदेश पर पेडों पर बुलडोजर चलाया गया। इस पर राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से समय मांगा तो कोर्ट ने कल तक जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। सुनवाई जारी है। याचिका में पेड़ों के मुआवजे की मांग की गई है।
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कैंट बोर्ड को रेलवे से सर्विस टैक्स वसूलने का हक मिला
इलाहाबाद : कैंटोनमेंट बोर्ड आगरा को उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद से लंबी लड़ाई के बाद जीत हासिल हुई है। 1982 से 1915 तक के बकाया सेवा कर भुगतान का मामला अंततः सुप्रीम कोर्ट से हल हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी मध्यस्थता समिति ने आगरा कैन्ट बोर्ड को उत्तर मध्य रेलवे एवं डाक विभाग से सेवा कर वसूल करने का हकदार माना है।
सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को अगले तीन माह में कानपुर कैन्टोमेंट बोर्ड के सेवाकर बकाये का निस्तारण करने का आदेश दिया है। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की खंडपीठ ने कैन्ट बोर्ड की विशेष अनुमति याचिकाएं निस्तारित कर यह आदेश दिया है।
कैन्ट बोर्ड आगरा को 1982 से 2015 तक का बकाया सेवा कर 5 करोड़ 94 लाख 67 हजार, 712 रूपये 52 पैसे उत्तर मध्य रेलवे से एवं 3 करोड़ 27 हजार 499 रूपये डाक विभाग से वसूलने का हकदार माना गया है। दोनों पक्ष मध्यस्थता समिति के समक्ष सहमत हो गये हैं।
इसी प्रकार से कैन्ट बोर्ड कानपुर के मामले में तीन माह में निर्णय लेने को कहा गया है। कोर्ट ने 2016-17 के बारे में बाद में विचार करने को कहा है। 1982 से सेवाकर वसूली की कार्यवाही चल रही थी। रेलवे द्वारा सहमत न होने के कारण विवाद बना हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रकरण समाप्त हो गया है।