50 मौतों का कारण बनी भारी बारिश, जमीदोज हुए 500 मकान
दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच इन बंदियों को बसों से आजमगढ़ जेल भेजने का काम शुरू किया गया। देर रात तक यह सिलसिला चलता रहा। जिला प्रशासन का कहना है कि जलजमाव कम नहीं होने के चलते बंदियो को शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है।
कपिल देव मौर्य
जौनपुर: विगत दिवस गुरूवार से शुरू हुई बारिश चौथे दिन रविवार की दोपहर तक जारी रही। इस दौरान पूर्वांचल के जिलो में एक दर्जन और लोगों की मौत हो गई। इससे पिछले चार दिनों में मरने वालों की संख्या 50 पहुंच गई है। इस दौरान पूर्वांचल में लगभग 500 मकान गिरकर जमीदोज हो गये है।
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शनिवार की रातभर बारिश के बाद रविवार की सुबह भी तेज बारिश होती रही। इस दौरान आजमगढ़ में जलजमाव की वजह से डूबकर दो लोगों की मौत हो गई। वहीं मकान गिरने से वाराणसी में दो, जौनपुर में तीन , गाजीपुर में तीन, सोनभद्र में एक की जान चली गई।
कई मौतों का कारण बनी बारिश
बारिश की वजह से ही जौनपुर में 75, गाजीपुर में 39, सोनभद्र में चार, आजमगढ़ में सौ, बलिया में दो, चंदौली में 250, मऊ में 22 और मिर्जापुर में आठ मकान धराशायी हो गए। गुरुवार से शनिवार तक पूर्वांचल के दस जिलों में 38 लोगों की मौत हो चुकी थी। रविवार को दस और लोगों की मौत से आकड़ा 50 तक पहुंच गया। इस आपदा से पीड़ित परिवार राहत के इंतजार में हैं।
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वहीं, बारिश के कारण कुछ दिन ठहराव के बाद पूर्वांचल में नदियों के जलस्तर में फिर बढ़ने लगा है। वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, मिर्जापुर में जहां गंगा एक सेंमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहीं हैं, वहीं आजमगढ़, मऊ और बलिया में घाघरा उफान पर हैं। नदियों में बढ़ाव से तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में एक बार फिर खलबली मची हुई है।
रेल यातायात भी ठप
भारी बारिश ने रेल यातायात को गहरी चोट पहुंचाई है। भारी बरसात के कारण रविवार की भोर में बलिया-छपरा रेलखंड पर परिचालन ठप हो गया। रेल गाड़ियां को जगह-जगह खड़ी कर दिया गया। कुछ ट्रेनों का संचालन निरस्त कर दिया गया, जबकि कुछ को रास्ते से लौटा दिया गया।
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लम्बी दूरी की ट्रेनों रुट डायवर्ट कर भेजा जा रहा है। गोंदिया से चलकर बरौनी जंक्शन जा रही ट्रेन के चालक की नजर सबसे पहले पटरी की हालत पर पड़ी। इसके बाद ट्रेनों का संचालन रोक दिया गया। मूसलाधार बारिश के बीच मरम्मत का काम होता रहा। धंसी पटरी को ठीक करने के लिये वाराणसी से उपकरण और छपरा से मालगाड़ी में बोल्डर मंगाया गया। रेल अधिकारियों का कहना है कि मरम्मत का कार्य में बरसात बाधा पहुंचा रही है।
आला अधिकारियों को स्टेशन मास्टर ने अवगत कराया
बताया जा रहा है कि गोंदिया से चलकर बरौनी जंक्शन तक जाने वाली 15232 डाउन गोंदिया एक्सप्रेस भोर में 4.10 बजे बांसडीहरोड रेलवे स्टेशन की ओर जा रही थी। इसी बीच ट्रेन के चालक की नजर किमी संख्या 60/0 के पास धंसी पटरी पर पड़ी। किसी प्रकार ट्रेन को निकालने के बाद चालक ने इसकी जानकारी बांसडीहरोड के स्टेशन मास्टर को दी।
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स्टेशन मास्टर ने इस मामले से आला अधिकारियों को अवगत कराया। इसके बाद अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम मौके पर पहुंच गयी। इसके बाद ट्रेनों का संचालन रोक दिया गया।पटरी धंसने के बाद डाउन उत्सर्ग एक्सप्रेस व डाउन मऊ-छपरा पैसेंजर ट्रेन को बलिया रेलवे स्टेशन पर तथा अप सियाल्दह एक्सप्रेस को सहतवार में रोक दिया गया।
मूसलाधार बारिश के बीच शुरू हुआ मरम्मत का काम
रेल प्रशासन ने 55014 वाराणसी-छपरा सवारी गाड़ी को युसूफपुर रेलवे स्टेशन से लौटा दिया गया। कुछ देर इंतजार के बाद सियाल्दह एक्स. को भी सहतवार स्टेशन से ही वापस भेंज दिया गया। रेल अफसरों ने अन्य गाड़ियों का रुट औड़िहार, इंदारा व छपरा से डायवर्ट कर दिया।
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मूसलाधार बारिश के बीच मरम्मत का काम शुरु हुआ। धंसी पटरी को ठीक करने के लिये वाराणसी से उपकरण तथा छपरा से एक मालगाड़ी बोल्डर मंगाया गया। रेल अधिकारियों का कहना है कि मरम्मत का कार्य में बरसात बाधा पहुंचा रही है। उनका कहना है कि रात में काम पूरा होने की उम्मीद है।
बारिश से बलिया जेल पानी में डूब गया
चार दिनों से अनवरत हो रही बारिश से बलिया जेल पानी में डूब गया है। बारिश का पानी जेल के बैरकों और हॉस्पिटल के साथ ही कार्यालय व आवास तक में घुस गया है। इससे न केवल बंदियों बल्कि जेल में ड्यूटी करने वाले सिपाहियों की सुरक्षा पर खतरा पैदा हो गया। इसे देखते हुए रविवार को 45 महिलाओं समेत 500 बंदियों को आजमगढ़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
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बताया जाता है कि 350 बंदियों की क्षमता वाले जिला कारागार में करीब 900 बंदी थे। बारिश का पानी जेल के लिए आफत बना तो पंपिंग सेट लगाकर पानी को निकालने का प्रयास शुरू हुआ। लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं होने पर आधे से ज्यादा करीब पांच सौ बंदियों को आजमगढ़ जेल शिफ्ट करने का फैसला ले लिया गया।
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दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच इन बंदियों को बसों से आजमगढ़ जेल भेजने का काम शुरू किया गया। देर रात तक यह सिलसिला चलता रहा। जिला प्रशासन का कहना है कि जलजमाव कम नहीं होने के चलते बंदियो को शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है।