सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019: सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69 हजार सहायक शिक्षकों के भर्ती परीक्षा के सम्बंध में राज्य सरकार के अधिकारियों के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते।

Update:2019-01-18 21:04 IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69 हजार सहायक शिक्षकों के भर्ती परीक्षा के सम्बंध में राज्य सरकार के अधिकारियों के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते। कोर्ट ने खुली अदालत में हैरानी जताते हुए कहा कि कि समझ नहीं आता कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न कराना भी चाहते हैं अथवा नहीं। साथ ही कोर्ट ने परीक्षा परिणाम के सम्बंध में गुरूवार को यथास्थिति बरकरार रखने संबधित पारित आदेश को 21 जनवरी तक बढ़ा दिया है।

यह भी पढ़ें......यूपी 69 हजार शिक्षक भर्ती 2018: रिटेन EXAM में कट ऑफ तय, जानिए कितने अंक वाले होंगे पास

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी केा नियत की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तय सिद्धांतों को अनदेखा कर, 6 जनवरी को लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स तय किये जाने पर यह टिप्पणी की।

यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत दर्जनों अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल नौ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया।

यह भी पढ़ें.....69000 शिक्षक भर्ती: शिक्षामित्रों की इस याचिका से कोर्ट लगा स​कता है भर्ती पर रोक! वजह है ये

याचियों ने राज्य सरकार की ओर से 7 जनवरी को जारी क्वालिफाइंग मार्क्स को चुनौती दी है। इसमें सरकार ने 65 प्रतिशत सामान्य वर्ग के व 60 प्रतिशत आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित किया है। याचिकाओं में कहा गया है कि कि 1 दिसम्बर 2018 को भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में कोई क्वालिफाइंग मार्क्स नहीं तय किया गया था। 6 जनवरी को लिखित परीक्षा हो गयी। जिसके बाद सरकार ने नियमों में परिवर्तन करते हुए क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिये जबकि यह तय सिद्धांत है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ होने के बाद नियमों मे परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

इसके पूर्व हुई सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था। लेकिन इस बार लिखित परीक्षा के बाद 7 जनवरी को अचानक 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया। राज्य सरकार के वकील भी 7 जनवरी के उक्त निर्णय का जवाब नहीं दे सके।

यह भी पढ़ें.....बीएड को प्राथमिक स्तर पर शामिल किया जाय, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

यही नहीं इसके पूर्व 6 मार्च 2018 को हाईकोर्ट ने टीईटी 2017 परीक्षा के सम्बंध में 14 प्रश्नों को हटाकर पुनर्मूल्यांकन के आदेश दिए थे लेकिन बाद में 6 मार्च 2018 के उक्त आदेश पर दो सदस्यीय खंडपीठ ने रोक लगा दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ के आदेश को इस आधार पर खारिज कर दिया कि एकल पीठ के समक्ष याचिकाएं दाखिल करने वाले सभी याचियों को सरकार की विशेष अपील में पक्षकार नहीं बनाया गया था।

शीर्ष अदालत ने दो सदस्यीय खंडपीठ पीठ को मामले को पुनः सुनने को कहा था। परंतु सरकार की ओर से दिसम्बर 2018 तक याचियों को पक्षकार नहीं बनाया गया और न ही 6 मार्च 2018 के आदेश का अनुपालन किया गया। जबकि टीईटी 2017 की परीक्षा देने वाले शिक्षामित्रों के लिए सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 आखिरी मौका है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार उन्हें मात्र दो परीक्षाओं में 25 मार्क्स का वेटेज मिलना है।

Tags:    

Similar News