स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर लखनऊ देगा मजहबी एकता का संदेश

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शहर के नामचीन मुस्लिम और हिंदू समुदाय के लोग स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की आजादी की वर्षगांठ जोरदार तरीके से मनाने की तैयारियों में जुटे हैं।

Update:2019-08-11 22:35 IST
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लखनऊ: जहां एक ओर पूरे देश में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 ए को हटाने पर बहस चल रही है और मजहबी उन्माद को भड़काने की कोशिशे की जा रही है, वही दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शहर के नामचीन मुस्लिम और हिंदू समुदाय के लोग स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की आजादी की वर्षगांठ जोरदार तरीके से मनाने की तैयारियों में जुटे हैं। लखनऊ में गोमती नगर स्थित 1090 चैराहे पर धमाल मचा कर आजादी का जश्न मनाने के लिए मुम्बई से कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है।

इस कार्यक्रम को अंजाम देने वाली जश्न-ए-आजादी समिति के संरक्षक मुस्लिम धर्मगुरु खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि यूं तो बहुत से संस्थानों में 15 अगस्त को आयोजन होते हैं लेकिन अवामी तौर पर ऐसे आयोजन नहीं होते थे। मेरी गुजारिश है कि जश्न-ए-आजादी समिति की ओर से भारत सरकार को एक अनुरोध किया जाये कि भारत के राष्ट्रीय पर्वों पर विदेश स्थित भारत के दूतावास पर प्रतीकात्मक नहीं बल्कि भव्यता के साथ आयोजन किये जायें।

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उन्होंने कहा कि समिति द्वारा राष्ट्रीय पर्वों पर धूमधाम से जश्न मनाने की परम्परा जो शुरू की गयी है यह तारीफ के काबिल है। समिति की अध्यक्ष निगहत खान ने सुझाव दिया कि आजादी हासिल करने में अपना योगदान देने वाले देश के वीर सपूतों के बारे में वीडियो तैयार किये जायें।

समिति के महामंत्री मुरलीधर आहूजा ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस देश के सबसे बड़े त्योहार हैं। इन्हें हमें ऐसे मनाना चाहिये जैसे कि नये वर्ष पर 31 दिसम्बर को मनाते हैं। समिति की अध्यक्ष निगहत खान और महामंत्री मुरलीधर आहूजा ने कहा कि आजादी की 72वीं वर्षगांठ को समिति द्वारा नौ दिवसीय (9 अगस्त से 17 अगस्त तक) समारोह का आयोजन किया गया है। इसमें वृक्षारोपण, जलसंचय, रक्तदान, स्वास्थ्य शिविर, कवि सम्मेलन, ऑर्केस्ट्रा जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, नेत्रदान के प्रति जागरूकता अभियान जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

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मुम्बई से मुकेश ऋषि और उनकी टीम के अलावा दूसरे कलाकर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि आठ दिन के इस कार्यक्रम में 16 अगस्त को सड़कों पर जहां तिरंगे पडे होंगे उन्हें एकत्र किया जायेगा, क्योंकि अक्सर लोग तिरंगे को सड़क पर फेंक देते हैं, ऐसा करना ठीक नहीं है।

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