सर्वेक्षण 2017 के आईने में उतरप्रदेश: गोंडा सबसे गंदा तो लखनऊ भी नहीं है पीछे
लखनऊ: शहरों में साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर करवाए गए केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश का इंदौर शहर सबसे साफ साबित हुआ है। 2017 के स्वच्छ सर्वेक्षण के मुताबिक, स्वच्छता रैंकिंग में इंदौर पहले पायदान पर रहा, तो वहीं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर रहा। जबकि सफाई के मामले में यूपी सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। देश के दस सबसे गंदे शहरों में 5 यूपी के ही हैं। देश के एक बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का एक भी शहर टॉप 25 साफ़ शहरों में शामिल नहीं है जिसके बाद स्थिति काफी चिंताजनक बन जाती है। प्रदेश में वाराणसी सफाई के मामले जहां 32वें स्थान पर है तो वहीं प्रदेश की राजधानी 269वें स्थान पर है।
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देश के 434 शहरों एवं नगरों में कराए गए स्वच्छ भारत सर्वेक्षण के बाद केंद्र सरकार ने मई महीने में स्वच्छ भारत रैंकिंग जारी की। इस रैंकिंग के बाद सफाई अभियान को लेकर उत्तर प्रदेश पर सवालिया निशान लग रहे हैं। इसको इस तौर पर देखा जा रहा है कि प्रदेश में केंद्र सरकार की मुहिम को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। इस रैंकिंग में अगर देश के सबसे ज्यादा गंदगी वाले 10 शहरों को देखा जाए तो सिर्फ उत्तर प्रदेश के चार शहर इसमें शामिल हैं।
गोंडा सबसे गंदा
सफाई के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड वाले 10 शहरों में यूपी के चार, बिहार और पंजाब के दो तथा उत्तराखंड व महाराष्ट्र के एक-एक शहर शामिल हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत जारी कुल 434 देशों की लिस्ट में गोंडा सबसे गंदा शहर रहा तो वहीं महाराष्ट्र के भुसावल 433वें पायेदान पर, इसके बाद बिहार का बगहा, उत्तर प्रदेश का हरदोई, बिहार का कटिहार, यूपी का बहराइच, पंजाब का मुक्तसर और अबोहर तथा इसके बाद यूपी का शाहजहांपुर 426वें तथा खुर्जा 425वें स्थान के साथ देश के दस सबसे गंदे शहरों में रहा।
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प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी उत्तर प्रदेश में सबसे आगे
-देश के 434 की लिस्ट में यूपी के 61 शहर लेकिन टॉप 30 में कोई शहर नहीं
-वाराणसी प्रदेश में साफ-सफाई के मामले में सबसे आगे 32वें स्थान पर
-प्रदेश की राजधानी लखनऊ 269वें स्थान पर
-उत्तर प्रदेश में निर्माण कराए गए व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों की संख्या 47.70% ही है।
प्रदेश के सबसे गंदे शहर
गोंडा – उत्तर प्रदेश (434)
भुसावल – महाराष्ट्र (433)
बगहा – बिहार (432)
हरदोई – उत्तर प्रदेश (431)
कटिहार – बिहार (430)
बहराइच – उत्तर प्रदेश (429)
मुक्तसर – पंजाब (428)
अबोहर – पंजाब (427)
शाहजहांपुर – उत्तर प्रदेश (426)
खुर्जा – उत्तर प्रदेश (425)
ये रहे सर्वेक्षण के पैमाने
देश के 434 शहरों और नगरों में कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण के मुताबिक, इसमें हिस्सा लेने वाले 83 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि उनका इलाके में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा साफ-सफाई देखने को मिली है। सरकार की ओर से जारी सर्वेक्षण नतीजों में यह बात भी सामने आई है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 के अनुसार, 82% से ज्यादा नागरिकों ने स्वच्छता बुनियादी ढांचा और अधिक कूड़ेदान की उपलब्धता के अलावा घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करने जैसी सेवाओं में सुधार पर बात की, जबकि 80% लोगों ने सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों तक बेहतर पहुंच बनाए जाने पर जोर दिया। इसमें यह भी कहा गया है कि 404 शहरों और कस्बों के 75 फीसदी आवासीय क्षेत्र में ज्यादा सफाई देखी गई। इसके साथ ही 185 शहरों में रेलवे स्टेशन के आसपास का पूरा इलाका स्वच्छ बताया गया है।
क्यों पिछड़ा उत्तर प्रदेश
स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट पर मौजूद आकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में निर्माण कराए गए व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों की संख्या 47.70% ही है। इस मामले में उत्तर प्रदेश ओडिशा, बिहार और जम्मू कश्मीर से ही आगे है। वहीं अगर जिले वाइज शौचालयों की बात की जाए तो गोरखपुर, बाराबंकी और मुरादाबाद जहां पहले स्थिति ठीक थी लेकिन इस वर्ष ये तेजी से गिरे हैं। पूरे भारत में मुज्जफरपुर में सबसे कम मात्र 8.95 प्रतिशत घरों में ही व्यक्तिगत शौचालय बनावाए गए हैं।
ओडीएफ में भी उत्तर प्रदेश पीछे
खुले में शौच मुक्त के मामले में उत्तर प्रदेश 34 राज्यों में से 33वें स्थान पर है। भारत में 193335, 90495 ग्राम पंचायत, 1319 ब्लाक और 129 जिले ओडीएफ हैं, इन आंकड़ों में उत्तर प्रदेश का योगदान केवल 7.32% ही है।
व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के 11 लाख से ज्यादा आवेदन निरस्त
स्वच्छ मिशन के तहत शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बनवाए जा रहे शौचालयों के लिए उत्तर प्रदेश से कुल 2552744 आवेदन 2014 से अभी तक दिए गए हैं। इन आवेदनों में से 496263 आवेदन सत्यापित, 395697 आवेदनों को मंजूरी मिली जबकि 110568 आवेदनों को निरस्त कर दिया गया। ऐसे में जब शौचालय बनेंगे ही नहीं तो प्रदेश साफ-सुथरा के श्रेणी में कैसे आएगा।