लखनऊ: नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) को लेकर लखनऊ में हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार कर जेल भेजे गए पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी 1972 बैच के अधिकारी रहे। 2003 में वह आईजी के पद से रिटायर होने के बाद अब मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के सचिव के तौर पर काम करने के साथ ही वह लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। दलित चिंतक के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले दारापुरी अभी हाल ही में 18 दिन जेल में रहने के बाद अपने घर वापस लौटे तो 'अपना भारत ' के श्रीधर अग्निहोत्री ने दारापुरी से लम्बी बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश।
नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध आप लोग क्यों कर रहे हैं?
नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है। यह कानून नागरिकों के अधिकारों में भेदभाव करने वाला है। हमारा संविधान न तो किसी धर्म का विरोध करता है और न किसी का समर्थन करता है। इस कानून से 'सेक्युलरिज्म' की संविधान में जो संकल्पना है, वो प्रभावित हो रही है। यह संविधान की मूल भावना के विपरीत है। इसके अलावा एनआरसी को लेकर केन्द्र सरकार ने संसद में लोगों को डराने का काम किया है। असम में इसे लेकर जो दिक्कतें हुईं, उसे लेकर लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया है। इसीलिए हम विरोध करते रहेंगे।
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इसके पहले आपने यूपीकोका कानून का भी विरोध किया था। क्या आपका उद्देश्य केवल भाजपा के खिलाफ ही रहता है?
द्व ऐसा नहीं है कि केवल भाजपा का ही विरोध करना है। हमने कांग्रेस, सपा और मायावती का भी विरोध किया था। महाराष्ट्र के मकोका कानून का भी विरोध किया था और यूपीकोका का भी विरोध किया। जिन्हें हम असंवैधानिक समझते हैं उनका विरोध ही करते हैं और राजनीति में होने के कारण सत्ताधारी दल का विरोध करता रहूंगा।
आपने तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'दलित सम्मान' दिए जाने पर भी विरोध जताया था?
बिल्कुल करूंगा। जो पार्टी एंटी दलित विचारधारा वाली रही हो और जिसने दलितों के खिलाफ काम किया हो, ऐसे लोगों के खिलाफ एक दलित कार्यकर्ता के तौर पर तो विरोध करूंगा। योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बनने के पहले तक तो कभी दलित प्रेम दिखाई नहीं दिया। डा.अम्बेडकर की प्रतिमा लगाने से दलितों को लाभ नहीं होगा। यह तो मायावती भी करती रही हैं। जहां तक योजनाओं की बात है तो जो भी योजना चल रही है उनमें तो सभी को लाभ मिलता है। दलितों की भूमिहीनता और उन पर अत्याचार को रोकने के लिए भाजपा सरकारों ने तो कुछ भी नहीं किया।
जेएनयू में छात्र आंदोलित हैं। वहां के छात्र ऐसा क्या राष्ट्रविरोधी विरोधी कार्य कर रहे हैं कि सरकार को उन कानूनी कार्रवाई करनी पड़ रही है?
जेएनयू में आईसा के भी छात्र हैं और एबीवीपी के भी हैं। वहां के छात्र अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें दबाया जा रहा है क्योंकि वे सरकार की आलोचना कर रहे हैं। जो छात्र भाजपा सरकार के पक्ष में हैं और जो गुंडे वहां मारपीट करते हैं पुलिस उन पर कोई कार्रवाई नहीं करती मगर जो छात्र सरकार के खिलाफ अपनी मांग रखते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। सरकार तो किसी को भी राष्ट्रविरोधी घोषित कर सकती है। छात्रों की जो मांगे हैं, उन मांगों को दबाया जा रहा है। सीएए में भी ऐसे ही किया जा रहा है। सरकार की अपनी कलम है,अपना मीडिया है। जो इसका विरोध कर रहा है। उसके खिलाफ केस दर्ज किया जा रहा है। यह तो ठीक नहीं है।
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कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता प्रियंका गांधी आपके घर आई थी और अब कहा जा रहा है कि आप कांग्रेस में जा रहे हैं। इस पर क्या कहेंगे?
प्रियंका गांधी मुझसे नहीं, मेरी पत्नी से मिलने आई थीं और मानवीय आधार पर मेरे घर आई थीं। मेरी अपनी पार्टी है, मैं दो बार चुनाव भी लड़ चुका हूं। ऐसे में कांग्रेस में क्यों जाऊंगा। हम अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता इसके लिए काम कर रहे हैं। हमारी पार्टी अन्य दलों की तरफ बड़े-बड़े दावे नहीं करती है। जहां जीत की संभावना होती है, वहीं प्रत्याशी उतारे जाते हैं। हम पूर्वी यूपी में दलितों और आदिवासियों के बीच 10-15 सालों से काम कर रहे है। उनकी जमीन छीनने का काम हर सरकार ने किया है। उनको जमीन वापस दिलाने का काम कर रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों के अधिकारों के लिए भीम आर्मी भी लगी हुई है। इसके बारे में क्या कहेंगे?
देखिए अभी भीम पार्टी आई है। चन्द्रशेखर आया है, नाम सुना है उसका। अभी उसे आने दीजिए। जहां तक खतरे की बात है तो मायावती को उससे खतरा होगा। मुझे उससे कोई खतरा नहीं है। उसका क्या एजेंडा है? वो पॉलिटिक्स में आ रहा है, इतना ही सुना है बस।