लखनऊ : यूपी में आईपीएस अफसरों ने योगी सरकार उस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। जिस में कानून व्यवस्था से लेकर थानेदारों की तैनाती तक में जिलाधिकारी को अधिक ताकतवर बना दिया गया है। सरकार के इस फैसले से जिलों में तैनात पुलिस अफसर विचलित हैं, और इसे अपने अधिकार में हस्तक्षेप मान रहे हैं। लखनऊ में हुई आईपीएस एसोसिएशन की बैठक के बाद अध्यक्ष प्रवीण सिंह ने चिठ्ठी लिख कर इस पर कडा एतराज जताया गया है। खास बात है कि बीते दिन इस प्रस्तावित बैठक के कैंसिल होने की बात कही जा रही थी।
डीएम के बढे अधिकार पर IPS एसोसिएशन ने जताया एतराज
यूपी में ज़िलों में तैनात आईएएस और आईपीएस अफसरों के टकराव के हालात के बीच आईपीएस एसोसिएशन ने आपात बैठक कर सरकार के फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। लखनऊ में हुई एसोसिएशन की बैठक के बाद मुख्य सचिव राजीव कुमार, प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार और डीजीपी सुलखान सिंह को चिठ्ठी लिख कर फैसले में बदलाव की मांग की गई है। आईपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण सिंह ने लिखा है, कि सरकार के इस फैसले से ज़िलों में तैनात पुलिस अफसर विचलित हैं और इस फैसले को अपने अधिकार छेत्र में हस्तक्षेप के तौर पर देख रहे हैं। क्योंकि इस आदेश में अपराध की विवेचना और आपराधिक विषयों से जुड़े मामलों में कारवाही से जुड़ा हुआ है। इस से पहले खुद यूपी पुलिस के मुखिया सुलखान सिंह ने चिठ्ठी लिख कर इस पर एतराज़ जाता चुके हैं।
एसोसिएशन ने कहा "कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग" को सही जानकारी नहीं
एसोसिएशन का मानना है कि "कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग" ने खुद ही इस तरह का आदेश जारी कर दिया है। जबकि इस विभाग को शान्ति व्यवस्था व अपराध नियंत्रण से जुडी कोई जानकारी ही नहीं है। ऐसे में गृह विभाग ने बिना जाने परखे इस जिओ पर अमल कराना शुरू कर दिया है।
- एसोसिएशन ने मांग कि है कि क़ानून व्यवस्था की इस बैठक को "शान्ति व्यवस्था समन्वय एवं मूल्यांकन" का नाम देते हुए बैठक की अध्यक्षता डीएम और एसपी दोनों करें।
- बैठक में जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी प्रशासन के अलावा क़ानून व्यवस्था से जुड़े सभी एडीएम और एसीएम को भी बुलाया जाये।
- इस बैठक में थानध्यक्षो को न बुलाया जाए।
डीजीपी से खराब रिश्ते रार की वजह तो नहीं
यूपी पुलिस के मुखिया सुलखान सिंह और गृह विभाग से जुड़े अफसरों के रिश्तों में खटास बताई जाती है। जानकार बताते है कि डीजीपी पर यूपी सरकार के सब से बड़े अफसर को भी कई बार बाईपास करने का आरोप है। ऐसे में आईएएस अफसरों ने यह जिओ जारी कर अपनी बादशाहत का मुज़ाहिरा पेश किया है। बहरहाल आईपीएस एसोसिएशन ने बैठक कर यह संकेत दे दिए हैं, कि आईपीएस और आईएएस अफसरों के बीच शह और मात का खेल थमा नहीं बल्कि जारी है।