Sanjeev Maheshwari Killed: लखनऊ गोली कांड! कौन है विजय यादव, जिसने कोर्ट में गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी पर की गोलियों की बौछार

Sanjeev Maheshwari Killed: विजय यादव 2016 में एक किशोरी को भगाने मामले में कुछ महीने तक हवालात में रहा है। बाद में उस मामले में सुलह हो गई। 2020 में उस पर महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था।

Update:2023-06-08 04:34 IST
Sanjeev Maheshwari Killed

Sanjeev Maheshwari Killed: लखनऊ के सिविल कोर्ट में पश्चिमी यूपी के अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (Sanjeev Maheshwari Jeeva Murder) की गोली मारकर हत्या करने का आरोपी बदमाश 25 वर्षीय विजय यादव (Vijay Yadav) जौनपुर के केराकत कोतवाली क्षेत्र का रहने वाला है। आजमगढ़ जिले की सीमा से सटा सुल्तानपुर उसका पैतृक गांव है। बुधवार (07 जून) शाम को इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों में चर्चा शुरू हो गई।

पुलिस ने उसके घर पहुंचकर पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। पता चला कि विजय 2016 में एक किशोरी को भगाने मामले में कुछ महीने तक हवालात में रहा है। हालांकि, अब उस मामले में सुलह हो चुकी है। 2020 में उस पर महामारी एक्ट (Epidemic Act) का मुकदमा दर्ज हुआ था।

कौन है विजय यादव? (Who is Vijay Yadav)

आजमगढ़ जिले (Vijay Yadav, Azamgarh) के देवगांव थाना क्षेत्र की सीमा से महज एक किलोमीटर पहले स्थित केराकत के सुल्तानपुर गांव निवासी श्यामा यादव के चार बेटों में विजय दूसरे नंबर का पुत्र है। परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, बड़ा भाई दिल्ली में रहकर एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। विजय मुंबई में रहता था। वह जरायम की दुनिया में कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी न तो गांव के लोगों को है और न ही परिवार में किसी को कोई जानकारी। विजय के दो भाई छोटे पढ़ाई करते हैं।

लखनऊ में कुछ काम है कहकर आया था

परिवार से मिली जानकारी के अनुसार विजय यादव मुंबई के एक पाइप बनाने वाली कंपनी में काम करता था। वहां से मार्च में घर आया। दो-तीन दिन के बाद ही बताया कि लखनऊ में कुछ काम है, वहां जाना है। वहां से 10 मई को मामा की पुत्री की शादी में शामिल होने के लिए गांव बीरमपुर, थाना केराकत आया था। शादी में शिरकत करने के बाद 11 मई को फिर लखनऊ चला गया, उसके बाद परिवार में किसी से संपर्क नहीं हुआ। उसकी मां निर्मला ने बताया कि 15 मई को जब वह मायके गई थीं, तभी विजय का फोन आया था, उसके बाद मोबाइल फोन बंद बताता रहा।

ग्रेजुएट है विजय

विजय यादव ने वर्ष 2012 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। उसके बाद जौनपुर से इंटर और यहीं के मो. हसन पीजी कॉलेज से बीकॉम किया है। उस समय विजय के पिता श्याम की देवगांव आजमगढ़ में मिठाई की दुकान थी। दुकान पर विजय भी कभी कभार जाता था। वहीं पर किसी किशोरी से संपर्क हो गया और दोनों भाग गए।

लग चुका है पॉक्सो एक्ट

किशोरी के परिजनों की तहरीर पर देवगांव थाने में ही पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ, करीब तीन माह के बाद मुंबई से पुलिस ने दोनों को बरामद किया। उसके बाद उसे हवालात में रखा गया। विजय की मां निर्मला ने बताया उस मामले में करीब छह माह बाद वह घर आया था। अब सुलह हो चुकी है।

विजय पर दो केस दर्ज

सीओ केराकत गौरव शर्मा ने बताया कि, 'अभी तक विजय यादव के खिलाफ दो मुकदमे सामने आए हैं। पहला, आजमगढ़ के देवगांव में पॉक्सो एक्ट और दूसरा, 2020 में महामारी एक्ट के तहत केराकत में दर्ज किया गया था। फिलहाल कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। लखनऊ की टीम पूछताछ कर रही है। वहां से यदि कोई इनपुट मिलता है तो उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।'

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