Jaunpur News: न्यायालय परिसर में आरोपियों पर हमले पर वकीलों का भड़का गुस्सा
Jaunpur News: बुधवार को अधिवक्ता संघ ने अपनी सुरक्षा को लेकर न्यायिक कार्य का बहिष्कार करते हुए घटना की जद में पुलिसिया लापरवाही के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
Jaunpur News: आखिर हमलावर श्रवण कुमार एवं उसके साथी असलहा लेकर न्यायालय के अन्दर गवाही भी दिए और परिसर में गोलियां भी तड़तड़ाई तो पुलिस विभाग की नींद ही उड़ गयी। इतना ही नहीं न्याय की कुर्सी पर बैठे अधिकारियों सहित अधिवक्ताओं और वादकारियों की रूहें कांप उठी हैं। इस घटना के दूसरे दिन बुधवार को अधिवक्ता संघ ने अपनी सुरक्षा को लेकर न्यायिक कार्य का बहिष्कार करते हुए घटना की जद में पुलिसिया लापरवाही के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगाए। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष और अन्य सभी पदाधिकारियों का स्पष्ट आरोप है कि पुलिस का जरा भी खौफ अपराध करने वालों में नहीं है, यही कारण है कि भाई की हत्या के बदले आग में जल रहा युवक न्यायालय परिसर में जघन्य अपराध की घटना का कारित करके सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दिया है।
न्यायालय परिसर भी सुरक्षित नहीं
अधिवक्ता कहते हैं कि लचर कानून व्यवस्था के कारण अब न्यायालय परिसर भी सुरक्षित नहीं रह गया है, इसके लिए पूर्ण रूप से पुलिस विभाग जिम्मेदार है। विगत एक वर्ष से बदले की आग में झुलस रहा श्रवण कुमार यादव कानून और न्यायपालिका के डर को भूलते हुए अपने भाई के हत्यारों की हत्या करने के लिए मौका तलाशता रहा और न्यायालय परिसर में ही सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी में कानून व्यवस्था को चुनौती देते हुए भाई के हत्यारों पर गोलियां बरसाने लगा। यह तो संयोग ही था कि गोली ऐसी जगह लगी कि हत्यारे बदमाशों की जान बच गयी, दोनो का उपचार जारी है। इस घटना ने एक बार फिर प्रयागराज के अतीक हत्याकांड की याद को ताजा कर दिया है।
यहां बता दें कि एक वर्ष पूर्व 06 मई 22 को सायंकाल के समय थाना गौराबादशाहपुर क्षेत्र स्थित धर्मापुर बाजार में एक अन्डे की दुकान पर मामूली विवाद को लेकर बदमाश सूर्य प्रकाश राय निवासी कबीरूद्दीनपुर और मिथिलेश गिरी निवासी सरैया नम्बर दो थाना क्षेत्र जफराबाद ने थाना गौराबादशाहपुर क्षेत्र स्थित धर्मापुर निवासी बादल यादव उर्फ पहलवान और अंकित यादव निवासी ग्राम उत्तरगांवा थाना जफराबाद के उपर चाकू से हमला किया जिससे बादल यादव अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया जबकि अंकित यादव का महीनों उपचार के बाद जान बच गई थी। इस घटना को लेकर ग्रामीणों ने इतना उत्पात मचाया था कि एम्बुलेंस फूंक दिया और पुलिस को जख्मी कर दिया। बड़ी तादाद में लोग मुल्जिम भी बने हैं।
इस घटना के बाद हत्यारे सूर्य प्रकाश राय और मिथिलेश गिरी दोनों सलाखों के पीछे जेल में कैद रहे। इस हत्याकांड की घटना के बाद से ही मृतक बादल यादव का भाई श्रवण कुमार यादव बदले की आग में झुलस रहा था लगातार बदला लेने की योजना बना रहा था। 16 मई 23 को न्यायालय में गवाही की तिथि थी। गवाही देने के बाद बदले की आग में जल रहा श्रवण अपने साथियों के साथ दीवानी न्यायालय परिसर में गोलीकांड की ऐसी घटना को अंजाम दे दिया कि कानून व्यवस्था पर सवाल उठ गया। पूरा दीवानी न्यायालय परिसर थर्रा उठा।
अधिवक्ताओं के साहस से पकड़ा गया अपराधी
हलांकि श्रवण कुमार यादव तो घटनास्थल पर अधिवक्ताओं के साहस से पकड़ा गया और पुलिस के हवाले कर दिया गया वहीं उसके साथी मौके से फरार होने में सफल तो रहे लेकिन घटना के बाद पुलिस की सक्रियता के कारण 16 मई 23 को ही देर रात तक खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। जिसमें अंकित यादव और वीरेन्द्र कुमार यादव शामिल हैं।
इस तरह बदले की आग में झुलस रहा श्रवण कुमार यादव न्याय पालिका के न्याय का इंतजार नहीं किया और न्यायालय परिसर में भाई के हत्यारों पर गोलियां बरसा कर खुद सजा देना चाहा। श्रवण कामयाब भले नहीं हुआ लेकिन पुलिस सुरक्षा के बीच गोलियां बरसा कर अभी चन्द दिनों पहले ही जनपद प्रयागराज में पुलिस की अभिरक्षा में चल रहे माफिया अतीक और अशरफ के हत्याकांड की याद को ताजा कर दिया है। अब कानून चाहे जो सजा दे लेकिन 16 मई 23 की घटना अब पुलिस विभाग की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल तो खड़ा कर ही दिया है।