एक माँ की बेबसी: बच्चों के लिए उठाना पड़ा ऐसा कदम, सुन रो देंगे आप

महामारी की सबसे बुरी मार तो गरीबों पर पड़ी है, जिनका काम-धंधा सब छूट गया और अब दो वक्त की रोटी के लिए मारा-मारा फिरना पड़ रहा है।

Update:2020-06-12 11:04 IST

नई दिल्ली : महामारी की सबसे बुरी मार तो गरीबों पर पड़ी है, जिनका काम-धंधा सब छूट गया और अब दो वक्त की रोटी के लिए मारा-मारा फिरना पड़ रहा है। एक मां जिससे अपने बच्चों को भूख और बीमारी से तड़पता हुआ न देखा, और उसे सिर्फ एक ही रास्ता दिखाई दिया, अपने गहनों को बेचना। जीं हां उस बेचारी बेबस मां ने यही किया। ये बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के समय तमिलनाडु से लौटे प्रवासी परिवार को गांव में न फ्री राशन मिला और न ही कोई काम मिला। इन हालातों का परिवार किसी तरह से गुजरा करता रहा। आखिरकार कई दिन बीत जाने के बाद अब इनके पास न खाने के लिए कुछ बचा और न दवा के लिए पैसे।

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गृह राज्य ही किसी न किसी तरह पहुंच गए

इस प्रवासी परिवार का यह मामला जैसे ही डीएम के संज्ञान में आया, वैसे ही फौरन पीड़ित परिवार का राशन कार्ड और रोजगार कार्ड बनवा दिया गया है। इसके साथ ही परिवार को खाने के लिए राशन भी उपलब्ध करा दिया गया।

ये प्रवासी परिवार अपने-अपने गृहराज्य ही किसी न किसी तरह पहुंच गए, लेकिन उनके सामने रोजी-रोटी का सबसे बड़ा संकट खत्म नहीं हुआ है।

यूपी के कन्नौज में एक परिवार ने खाने और दवाई के लिए 1500 रुपये में गहने तक बेच डाले। लॉकडाउन में काम-धंधा छूटने के बाद यह परिवार बीते महीने ही तमिलनाडु से अपने गृह जिला कन्नौज लौटा था।

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कुल्फी बेचने का काम

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के फत्तेहपुर जसोदा निवासी श्रीराम शादी के कुछ समय बाद पत्नी गुड्डी देवी को लेकर तमिलनाडु के किड्डलोर चला गया था। वहां वह 30 साल से कुल्फी बेचने का काम कर रहा था।

इसी काम से पति, पत्नी और नौ बच्चों का गुजारा चल रहा था। फिर लॉकडाउन की वजह से सारा काम बंद हो गया और मकान मालिक ने जबरदस्ती घर खाली करा दिया। फिर 21 मई को श्रीराम पत्नी और बच्चों को लेकर ट्रेन से गांव लौट आया।

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काम-काज छूट जाने की वजह से

अब श्रीराम के पास खेती के लिए न जमीन न राशनकार्ड था। आगे उसने बताया कि यहां आने के बाद राशन और रोजगार दोनों में परेशानी आई। काम-काज छूट जाने की वजह से परिवार के सामने भोजन तक का संकट खड़ा हो गया।

तभी बच्चे भूख और बीमारी से तड़पने लगे और कहीं से कोई मदद नहीं मिली, तो पत्नी गुड्डी देवी ने अपने सोने के जेवर (पैरों में पहने जाने वाली तोड़िया) बेचने को दे दीं।

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कुछ अधिकारियों को निलंबित

स्थानीय जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा ने बताया कि ग्राम फतेहपुर जसोदा मे एक परिवार है, जो भूख से बेहाल था। जैसे ही हमें इसकी जानकारी मिली हमने वीडीओ और सप्लाई इंस्पेक्टर को भेजा और जांच करने के बाद पता चला कि यह परिवार 15 दिन पहले तमिलनाडु से यहां आया था, जिसकी माली हालत बहुत खराब थी।

इसके बाद तुरंत हमने कार्यवाही करते हुए उस परिवार को राशनकार्ड, जॉब कार्ड के साथ खाने-पीने की सभी जरूरी वस्तुएं उपलब्ध करा दीं। वहीं कुछ अधिकारियों को निलंबित भी किया गया।

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