इस जिले में हो रहा बड़ा कांड, जिम्मेदारों की सांठ गांठ से चलता है खेल!

कानपुर देहात जिले में मोरम गिट्टी, बालू और डस्ट का नियमों का उल्लंघन करते हुए भंडारण किया जा रहा है। जिम्मेदारों ने सभी गाइडलाइंस को ठेंगा दिखा दिया है।

Update: 2020-06-21 16:23 GMT

कानपुर देहात: जनपद में मौरंग से लदे ओवरलोड वाहन प्रमुख मार्गों पर खनन एआरटीओ पुलिस व स्थानीय तहसील प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर शासन के नियमों का उल्लंघन कर मौरंग गिट्टी विक्रय का कारोबार कर रहे हैं। वहीं ना तो ट्रकों के संचालकों द्वारा संबंधित शासन की वेबसाइट में अपना पंजीकरण कराया है और ना ही विक्रय करने वाले भवन निर्माण सामग्री विक्रेता ने भी अपना व्यवसायिक रजिस्ट्रेशन कराया है।

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डेटा से ज्यादा की जा रही डंपिंग

ज्यादातर प्रमुख सड़कों के किनारे सरकारी भूमि पर बिना किसी के अनुमति लिए गिट्टी मौरंग इत्यादि का भारी मात्रा में भंडारण कर रहे हैं जबकि सरकार ने भवन निर्माण संबंधी सामग्री जैसे मोरम गिट्टी, बालू, डस्ट के भंडारण में निर्धारित मात्रा ने की है, जिसका समुचित डाटा खनन विभाग के पास उपलब्ध है। लेकिन इससे कई गुना ज्यादा भवन सामग्री विक्रेता मौरंग डंपिंग का कारोबार कर आमजन लोगों से मनमाने दामों में मौरंग विक्रय करने का खेल कर रहे हैं।

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जिम्मेदारों से कोई मतलब नहीं

इस मामले में जिम्मेदार विभाग पूर्ण रूप से अंजान हैं जबकि भंडारण खुलेआम देख रहे हैं और ओवरलोड ट्रकों का भी दिन-रात संचालन जारी है। यही नहीं बिना रजिस्टर्ड ट्रक भी मोरम गिट्टी का कारोबार कर रहे हैं और तो और बिना रवंन्ना के मौरंग विक्रय का भी काम हो रहा है किंतु इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी ऐसे माफियाओं पर नकेल कस कार्रवाई करने में पीछे हट रहे हैं जबकि प्रमुख सड़कों पर ऐसे कारोबार से लोगों को भारी असुविधा भी हो रही है लेकिन शासन के जिम्मेदार अधिकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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जिम्मेदार अधिकारी इन सब बातों को नजरअंदाज कर देते हैं कुछ अधिकारी तो ऐसे लोगों से सांठगांठ कर अपनी जेब के भजन को बढ़ाते हैं। शासन की तय सुदा मनसा नियमावली को ताक पर रखकर अपनी नौकरी करते हैं। उन्हें तो इस बात का भय भी नहीं होता है कि उनके ऊपर भी शासन के उच्च अधिकारी हैं। उन्हें इस बात का भी भय नहीं होता है कि इस बात का पता अगर शासन के उच्च अधिकारियों को चला तो तो उनके साथ क्या होगा।

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फिर ये डालते हैं आम जनता की जेब में डाका

इनके लिए तो शासन के द्वारा बनाए गए यह नियम महज एक कमाई का जरिया बन जाते हैं और इसके बाद इस सामग्री को एकत्र करने वाले लोग आम जनता के जेब पर डाका डालते हैं। अत्यधिक मूल्यों में इस सामग्री को बेचकर वह भी बड़ा मुनाफा कमाते हैं। जब उनसे इस मामले में बात करो तो उनका एक ही जवाब होता है कि हम तो शासन के अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके बिना अनुमति के भंडारण करते हैं। अगर कोई आता है तो उसकी सेवा खुशामद करके उसे चलता कर देते हैं। इसी कारण से शासन प्रशासन के नियम सिर्फ आम जनता पर लागू करने के लिए हैं और ऐसे नियम तो हमारी जेबों में रहते हैं।

रिपोर्ट: मनोज सिंह

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