Kanpur News: कोल्ड ड्रिंक की बोतल में फफूंदी, 16 साल पहले टूटी थी शादी, न्याय के बाद मिले 10 हजार

Kanpur News: कन्या पक्ष के लोग तिलक लेकर आ गए थे। कन्या पक्ष के लोग नाश्ता पानी कर रहे थे। नाश्ते के समय कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली गई तो उसमें फफूंदी निकलने पर कन्या पक्ष के लोग नाराज हो गए, जिसमें काफी बहस के बाद शादी टूट गई थी। राजेंद्र यह सदमा बर्दाश्त न कर सके और उन्हें हार्ट अटैक पड़ गया।

Update:2023-06-06 21:08 IST
कोल्ड ड्रिंक की बोतल में फफूंदी, 16 साल पहले टूटी थी शादी, न्याय के बाद मिले 10 हजार: Photo- Social Media

Kanpur News: कभी-कभी शादी में रिश्ते कुछ खानपान के कारण टूट जाते है। ऐसा ही कुछ 16 साल पहले के मामला है। चकेरी में राजेंद्र कुमार के भाई के तिलकोत्सव की तैयारी चल रही थी। कन्या पक्ष के लोग तिलक लेकर आ गए थे। कन्या पक्ष के लोग नाश्ता पानी कर रहे थे। नाश्ते के समय कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली गई तो उसमें फफूंदी निकलने पर कन्या पक्ष के लोग नाराज हो गए, जिसमें काफी बहस के बाद शादी टूट गई थी। राजेंद्र यह सदमा बर्दाश्त न कर सके और उन्हें हार्ट अटैक पड़ गया। जिससे तत्काल उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। फोरम में वाद दाखिल कर इलाज में खर्च हुए चार लाख रुपए का दावा किया गया था। 16 साल बाद तो निर्णय तो उनके पक्ष में हुआ, लेकिन रूपए सिर्फ 10 हजार मिले।

16 साल चली सुनवाई, वादी की मौत के बाद पत्नी ने की थी पैरवी

चकेरी जीटी रोड रूमा निवासी राजेंद्र कुमार ने 26 सितंबर 2007 को यह वाद दाखिल किया था। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने 17 अगस्त 2007 को छोटे भाई के तिलक समारोह में चंद्रनगर स्थित बाबा जनरल स्टोर से 84 रुपये देकर कोल्ड ड्रिंक मिरिंडा की सात बोतलें मंगवाई थीं। उन्होंने बाबा जनरल स्टोर, पेप्सिको इंडिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड और आराधना सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल किया था। फोरम में इस मुकदमे की सुनवाई 16 साल चली। इस मुकदमे के दौरान राजेंद्र की मौत होने पर पत्नी पूनम ने पैरवी की। वादी की तरफ़ से बताया गया कि कोल्ड्रिंग में मांस जैसा टुकड़ा पाया गया, जिससे मेहमानों को आघात पहुंचा, परिवादी का जी मचला और उल्टियां आने लगीं।

कंपनी ने दी ये दलील

कोल्ड्रिंग बोतल को जांच के लिए भेजा गया तो पता चला कि बोतल में मांस का टुकड़ा नहीं था, बल्कि फफूंदी जमा थी। कंपनी हर बोतल को जांच के बाद बाजार में भेजती है। बोतल में कोई अशुद्ध चीज चली गई थी तो विक्रेता बोतल बदल सकता था। कंपनी ने यह भी दलील दी कि वादी ने इलाज के खर्च का कोई भी कागज या बिल नहीं दिया है। जिससे कंपनी को पता चले की ये बीमार थे। इससे साबित होता है कि वह बीमार नहीं हुए थे।

उपभोक्ता फोरम का आदेशः लापरवाही और सेवा में कमी साबित

फैसले में कहा गया है हिक यह लापरवाही और सेवा में कमी है। विक्रेता बोतल को बदल सकता था। अगर दुकानदार बोतल को बदलने से इंकार कर देता तब वाद दाखिल किया जा सकता था। इसमें वास्तविक क्षति की गणना नहीं की जा सकती है, लेकिन इससे वादी को मानसिक क्षति पहुंची है। अतः वादी को 10 हजार रुपये छह प्रतिशत ब्याज के साथ और 4 हजार वाद व्यय दिया जाना चाहिए।

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