सोनभद्र में बिना मान्यता के छह स्कूलों में सरकारी धन की लूट, कार्यवाही का निर्देश

कोर्ट ने याची को सभी मुद्दे राज्य विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक के समक्ष उठाने को कहा है। जिस पर प्रबंधक निदेशक कानून के तहत कार्यवाही करेंगे।

Update: 2019-03-12 14:07 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोनभद्र के ओबरा में विद्युत विभाग के अनुदान से बिना मान्यता के चलाये जा रहे छह प्राइमरी स्कूलों के अध्यापकों व स्टाफ को करोड़ों के भुगतान की शिकायत पर प्रबंध निदेशक राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. लखनऊ को एक माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस.एस.शमशेरी की खण्डपीठ ने हाईकोर्ट की अधिवक्ता सीमा मिश्रा की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। ओबरा में बिना मान्यता के छह प्राइमरी स्कूलों के 55 अध्यापकों व अन्य स्टाफ को राज्य निधि से वेतन दिया जा रहा है। इस मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि याची राज्य विद्युत उत्पादन निगम के समक्ष अपनी शिकायत पेश करे।

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याची का कहना है कि ओबरा इंटरमीडिएट कालेज की मान्यता है और विद्युत विभाग के अनुदान से इसे चलाया जा रहा है और बिना मान्यता के छह प्राइमरी स्कूल चलाये जा रहे हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक, संयुक्त निदेशक शिक्षा विंध्याचल मण्डल मिर्जापुर के आदेश से सरकारी धन से अवैध रूप से विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। सेक्टर एक, तीन, चार, सात, आठ व 9 में चल रहे प्राइमरी स्कूलों में छह प्रधानाचार्य, 40 अध्यापक, 32 स्टाफ को सरकारी खजाने से वेतन दिया जा रहा है। कुल 55 अध्यापक हैं जिन्हें सरकारी धन से वेतन मिल रहा है और अध्यापक व स्टाफ सरकारी क्वार्टरमें रह रहे हैं। विद्युत आदि मुफ्त सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं। प्राइमरी अध्यापकों को ही प्रोन्नति कर इंटर कालेज में नियुक्ति की जा रही है।

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याचिका में करोड़ों के सरकारी धन के गबन पर कड़ी कार्यवाही करने व अध्यापकों को सरकारी धन से वेतन, शिक्षा व विद्युत विभाग से दोहरा अनुदान लेने पर रोक लगाने की मांग की गयी थी। याची का कहना है कि सरकारी भवन अवैध स्कूलों से खाली कराया जाए तथा 1967 से अब तक दिये गये वेतन की वसूली की जाए। कोर्ट ने याची को सभी मुद्दे राज्य विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक के समक्ष उठाने को कहा है। जिस पर प्रबंधक निदेशक कानून के तहत कार्यवाही करेंगे।

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