लखनऊ : हाईकोर्ट ने हरदोई रोड, बसंत कुंज में आश्रयहीनों के लिए बने मकानों से अवैध कब्जा हटाने के मामले में जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व एलडीए वीसी की ओर से समस्याएं बताने पर सख्त नाराजगी जाहिर की है और अपर मुख्य सचिव आवास एवं शहरी नियोजन व पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है कि सूबे की राजधानी में अपने इन अफसरों की ऐसी कार्यप्रणाली का संज्ञान लेकर मामले में निर्णय लेते हुए 25 जुलाई को कोर्ट को अवगत करायें। तीनों अफसरों ने कोर्ट के बताया था कि वे इन अवैध कब्जों को नहीं हटवा सकते क्येंकि इससे समस्या खड़ी होगीं। कोर्ट ने इन अफसरों के ऐसे रवैये पर घोर आश्चर्य जताया है।
यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरएन पांडेय की बेंच ने पुष्पा देवी की याचिका पर दिया। याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आश्रयहीनों के लिए बने मकानों से अवैध कब्जेदारों को स्ट्रेटजी बनाकर हटाने व वास्तविक आवंटियों को कब्जा दिलाने का आदेश डीएम और एसएसपी को दिया था। जिसके अनुपालन में डीएम, एसएसपी व एलडीए वीसी की एक मीटिंग हुई जिसका वर्क प्लान कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
वर्क प्लान में बताया गया कि कुल 1006 मकान बनाए गए थे जिसमें 624 आवंटित किए जा चुके हैं। जबकि मात्र 176 घरों में वास्तविक आवंटी रह रहे हैं और 830 पर अवैध कब्जेदारों का कब्जा है। इनमें 382 घर ऐसे हैं जिनका अब तक आवंटन नहीं हुआ है। वर्क प्लान में यह भी उद्धत किया गया कि 830 घरों से अवैध कब्जेदार हटाने के बाद दोबारा अवैध कब्जे से इन्हें सुरक्षित रखना मुश्किल होगा। यह भी कहा गया कि 830 परिवारों को अवैध कब्जे से हटाना काफी कठिनाई भरा होगा।
इस पर कोर्ट ने कहा कि जो घर आवंटित नहीं किए गए हैं, वे एलडीए की सम्पत्ति हैं जो राज्य का अंग है। कोर्ट ने इसे अधिकारियों की अनिच्छा और असमर्थता बताया। कोर्ट ने एलडीए अधिकारियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एलडीए अधिकारियों की उदासीनता व लापरवाही के कारण ये अवैध कब्जे हुए हैं।