रास्ते में फंसी गाड़ियों के पिचके टायर, बैटरी डाउन, ट्रांसपोर्टरों का हो गया ये हाल
लॉकडाउन में रास्तों में गिट्टी, सीमेंट, सरिया लदी ट्रकें अभी भी फंसी हैं। कई तो वापस मालिक के पास पहुंची हैं, तो कई अभी भी ड्राइवरों के इंतजार में रास्ते में खड़ी हैं। इ
गौरखपुर: लॉकडाउन में रास्तों में गिट्टी, सीमेंट, सरिया लदी ट्रकें अभी भी फंसी हैं। कई तो वापस मालिक के पास पहुंची हैं, तो कई अभी भी ड्राइवरों के इंतजार में रास्ते में खड़ी हैं। इस दुश्वावारी ने ट्रांसपोर्टरों को तबाह कर दिया है। इनके सामने बैंक की तरफ से लाखों की किस्त जमा करने का दबाव है। तो दूसरी तरफ रास्ते में फंसी सीमेंट, सरिया और गिट्टी लदे ट्रकों के खराब हुए टायर और बैटरी को बदलवाने की मजबूरी। ट्रांसपोर्टरों और बिल्डिंग मटेरियल कारोबारियों को चिंता सताने लगी है कि कैसे बैंकों की किस्त भरें और कैसे टायर और बैटरी चेंज कराएं।
लॉकडाउन में बिहार से लेकर यूपी के विभिन्न जिलों में फंसे 150 से अधिक ट्रक इनके मालिकों को दोहरा झटका दे रहे हैं। एक तरफ ट्रक पर लाखों रुपये का माल पड़ा हुआ है, तो दूसरी तरफ 35 से 40 टन के बोझ से टायर और कमानी दगा दे दिया। इतना ही नहीं खड़े ट्रक की मोबिल और बैटरी भी खराब हो गई। ट्रकों के ड्राइवर भी अपने घरों को वापस लौट गए हैं, ऐसे में कई ट्रक अभी रास्ते में ही फंसे हुए हैं।
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सरकार ने आवश्यक सेवाओं से जुड़ी वस्तुओं की आवाजाही को अनुमति दे दी लेकिन बिल्डिंग मटेरियल लदे ट्रक अभी भी जहां-तहां खड़े हैं। गोरखपुर के बिल्डिंग मटेरियल कारोबारियों के करीब 40 ट्रक छपरा से देवरिया बार्डर के गुठनी के बीच खड़े हैं। छपरा के डोरीगंज और कोइलवर घाट से मौरंग बालू लाद कर आ रहे ट्रक बीच रास्ते में फंस गए हैं। इसी तरह बांदा, बाराबंकी से लेकर अयोध्या के बीच जगह-जगह सीमेंट, बालू और गिट्टी लदे ट्रक खड़े हैं। करीब 40 दिन से खड़े ट्रक के टायर और कमानी को सर्वाधिक नुकसान है। सीमेंट के थोक कारोबारी अनुपम मिश्रा और उनके पार्टनर का सीमेंट और मौरंग बालू लदा ट्रक चौरीचौरी के पास भगवानदास शकुंतला देवी डिग्री कॉलेज परिसर में खड़ा हैं।
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अनुपम बताते हैं कि ट्रकों पर करीब 80 हजार कीमत की गिट्टी और 2.25 लाख कीमत की सीमेंट है। ड्राइवर भी ट्रक छोड़ गाजीपुर अपने घर चला गया है। वहीं गिट्टी-बालू के कारोबारी रविन्द्र प्रताप सिंह का गिट्टी लदा ट्रक बाराबंकी के हैदरगढ़ में खड़ा है। ड्राइवर राजेश पाल सोनभद्र अपने घर चला गया है। अब वह घर से लौट नहीं पा रहा है। इसी तरह ट्रांसपोर्टरों के करीब मौरंग बालू लदे 40 ट्रक छपरा से लेकर देवरिया के गुठनी बार्डर पर खड़े हैं। बरगदवा के राजेन्द्र वर्मा का मौरंग बालू लदा तीन ट्रक छपरा और देवरिया बार्डर के बीच खड़ा है। इसी तरह करीब 20 मौरंग लदा ट्रक बांदा जिले में विभिन्न पेट्रोल पंप और ढाबों पर खड़ा है।
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खड़े-खड़े ट्रकों के टायर खराब, करोड़ों का झटका
मौरंग बालू, सीमेंट और गिट्टी लदे ट्रक पिछले 40 दिनों से खड़े हैं। 35 से 40 टन वजन से ट्रकों के टायर खराब हो रहे हैं। बिल्डिंग मटेरियल कारोबारी विनोद दूबे का ट्रक बांदा में खड़ा है। वह बताते हैं कि टायर में हवा कम हो गया है। एक ही स्थान पर खड़े होने से टायर भी खराब हो रहे हैं। टायर बिक्रेता नीरज गुप्ता बताते हैं कि एक टायर की कीमत 15 से 21 हजार तक होती है। सामान्य परिस्थितियों में टायर 70 से एक लाख किलोमीटर तक चलते हैं। लेकिन 40 दिन एक ही जगह ट्रक के खड़े होने से टायर में हवा कम हो जाएगा। अब ये ट्रक सड़क पर चंलने भी लगे तो बमुश्किल 10 से 15 हजार किमी चलने के बाद टायर खराब हो जाएंगे। मौरंग बालू, सीमेंट और गिट्टी लदे ट्रक 16, 18, 20 और 22 चक्का के होते हैं। ऐसे में एक ट्रक में 2.50 लाख से 3.50 लाख कीमत के टायर खराब हो रहे हैं। यानी 150 ट्रकों में लगे करीब 4 करोड़ कीमत के टायर खराब हो रहे हैं।
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कमानी हो गई सीधी, बैटरी भी हो गई डाउन
16 चक्का वाले ट्रकों में 36 कमानी होती है। खड़े-खड़े ट्रकों में कमानी सीधी हो जा रही हैं। गीडा में कमानी मरम्म्त करने वाले मिस्त्री शिवकुमार बताते हैं कि एक ही स्थिति में महीने भर से अधिक ट्रक के खड़े होने की स्थिति में कमानी के खराब होने का खतरा रहता है। ट्रक के सभी कमानी सीधे हो गए हैं, तो उनके मरम्मत पर 20 से 25 हजार रुपये का खर्च आएगा। इसी तरह एक ट्रक में दो बैटरी लगी होती है। बैटरी कारोबारी दीपक जायसवाल बताते हैं कि ट्रक खड़ा होने पर 15 से 20 दिनों में बैटरी डिस्चार्ज हो जाएगी। पुरानी बैटरी दो से तीन दिन में ही डिस्चार्ज हो जाएगी। 40 दिन से खड़े ट्रक में मुश्किल ही है कि बैटरी चार्ज होने के बाद भी चले। इसी तरह ट्रक के इंजन, क्राउन और गियर बॉक्स में 15 से 18 हजार रुपये कीमत की मोबिल डाली जाती है। खड़े ट्रक में मोबिल खराब होने की पूरी संभावना है।