लवजेहाद कानून यूपी में: साढ़े तीन साल में सबसे बड़ा फैसला, मिलेगी सख्त सजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन कर धोखे से विवाह रचाने पर कड़े दंड की व्यवस्था की गयी है। ऐसे मामलों में एक से दस साल की सजा होगी।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ। यूपी की योगी सरकार ने आज अपने साढ़े तीन साल में सबसे बड़ा फैसला ले लिया है। राज्य सरकार ने आज लव जेहाद को रोकने लिए अपने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस तरह के मामलों में अधिकतम दस साल की सजा का प्रावधान भी रखा गया है।
एक से दस साल की सजा
योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन कर धोखे से विवाह रचाने पर कड़े दंड की व्यवस्था की गयी है। इसमें इस बात की व्यवस्था है कि ऐसे मामलों में एक से दस साल की सजा होगी।
मध्य प्रदेश सरकार ने भी की तैयारी
यूपी की तरह ही मध्य प्रदेश सरकार भी लव जिहाद के खिलाफ कड़े कानून लाने की तैयारी कर रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने अपने प्रस्तावित बिल में पांच साल की कठोर सजा का प्रावधान किया है। वहीं हरियाणा में निकिता तोमर की हत्या के बाद हरियाणा सरकार ने भी लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी में है। धर्म परिवर्तन कराने वाले संगठनों पर लगाम लगाई गयी है।
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दोषी संस्था या संगठन भी सजा के पात्र होंगे
इसमें इस बात का भी प्रावधान है कि सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने की व्यवस्था है। अध्यादेश के उल्लंघन की दोषी संस्था या संगठन भी सजा के पात्र होंगे। तथा उनका रजिस्टेªषन भी खत्म किया जाएगा।
अब इसे अध्यादेश के रूप में जल्द ही विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अध्यादेश के रूप में लाया जाएगा। इसके बाद इसे उच्च सदन यानी विधान परिषद भेजा जाएगा। जहां से वह राजभवन से मुहर लगने के बाद यह कानून बन जाएगा।
हाईकोर्ट ने यूपी के एक मामले को किया खारिज
वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने यूपी के कुशीनगर में लव जिहाद से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए यूपी सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया। जिसमें हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसलों के आधार पर महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन करने को अवैध बताया गया था।
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हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच से आए फैसलों पर भी असहमति जताई है और कहा है कि उन फैसलों में निजता और स्वतंत्रता के अधिकारों की अनदेखी की गई थी। अब इस बात की संभावना व्यक्त की जारही है कि राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका में दाखिल कर सकते हैं।
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