AKTU के 22 वर्ष पूरे: राज्यपाल ने की गोद भराई और अन्नप्राशन, बोलीं- महिला व पुरुष बनें एक-दूसरे के सहयोगी

Lucknow News: परमार्थ संस्था के पांच बच्चों और उन्हें पढ़ाने वाली पांच आईईटी की छात्रा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहुओं, निर्माण कार्य में लगी महिलाओं को सम्मानित किया गया।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Monika
Update: 2022-05-08 10:54 GMT

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (photo : social media )

Lucknow News: "अब महिलाओं की सोच में परिवर्तन आया है। कम पढ़ी लिखी महिलाएं भी मजदूरी करके अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास कर रही हैं। जिससे कि उनके बच्चे भी अच्छा जीवन यापन कर सकें। भारत अब रूढ़िवादी सोच से बाहर निकल रहा है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका महिलाएं निभा रही हैं।" यह बातें रविवार को राज्यपाल सहकुलाधिपति आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने कहीं। वह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय की ओर से आईईटी में आयोजित आविर्भाव दिवस 22 वर्ष पूरे होने के मौके पर और मातृ दिवस के मौके पर बोल रहीं थीं। इस मौके पर उन्होंने मातृ शक्ति का सम्मान किया।

परमार्थ संस्था के पांच बच्चों और उन्हें पढ़ाने वाली पांच आईईटी की छात्रा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहुओं, निर्माण कार्य में लगी महिलाओं को सम्मानित किया। साथ ही गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की। वहीं प्रसूता महिलाओं के शिशुओं को खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया। उन्होंने आईईटी के नवनिर्मित उत्तरी गेट का भी अनावरण किया।

AKTU के 22 वर्ष पूरे (photo: social media)

महिलाओं को दिए टिप्स

अपने उद्बोधन के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल महिलाओं के लिए अभिभावक की भूमिका में रहीं। उन्होंने बच्चों के सही पालन-पोषण के बारे में बताया। कहा कि बच्चों में बचपन से ही आत्मनिर्भर बनने की आदत डालनी चाहिए। माताओं को उन्हें ऐसा संस्कार देना चाहिए, जिससे कि वो आगे चलकर किसी पर निर्भर न रहें। घर का वातावरण ऐसा बनाये जिससे कि बच्चों पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। क्योंकि ये बच्चे ही हमारे देश के भविष्य हैं। मां बनने का सौभाग्य हर महिला के लिए सुखद होता है। माताओं का सम्मान करना होगा। कहा कि अन्न प्राशन कराने की रस्म का लक्ष्य है कि छह माह के बच्चे को कौन-कौन सा पौष्टिक भोजन दिया जाये जिससे कि उनका विकास अच्छे ढंग से हो। गोद भराई भी इसी तरह की प्रथा है जिससे कि गर्भवती महिलाओं को ये बताया जाता है कि उनके लिए सही खान-पान क्या है। साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ घर में भेदभाव नहीं करना चाहिए। चाहे वो घर का काम करें या फिर बाहर नौकरी करने जाएं उनका सम्मान हमेशा होना करना चाहिए। सेवा भाव नहीं बल्कि महिला और पुरुष को एक दूसरे का सहयोगी बनना चाहिए। उन्होंने आईईटी की छात्राओं की तारीफ की। कहा कि अपनी पढ़ाई में से समय निकाल कर इन गरीब बच्चों को पढ़ाना वाकई बहुत काबीलेतारीफ है।

जिम्मेदारी का दिलाया एहसास

राज्यपाल ने कहा कि अभी भी 15 से 17 फीसदी बच्चों का जन्म अस्पताल में न होकर घरों में होता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने-अपने गांव या आस-पास की गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलेवरी के लिए जागरूक करना चाहिए। साथ ही कुपोषित बच्चों और टीबी के मरीज बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जागरूक कर अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहिए। कहा कि घर में पड़ने वाले जन्म दिवस को होटल में मनाने की बजाय यदि हम आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों को खाना खिलाएं तो यह ज्यादा संतुष्टि देने वाला होगा।

गोद भराई और अन्नप्राशन से खिल उठे चेहरे

कार्यक्रम में राज्यपाल ने पांच गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार भेंटकर गोदभराई की। इनमें पूजा, सना, सुमन, रंजना और दीपमाला रहीं। राज्यपाल से गोदभारई कर महिलाओं के चेहरे खिल गये। वहीं पांच प्रसूता महिलाओं के शिशुओं को राज्यपाल ने खीर खिलाकर अन्न प्राशन कराया।

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