Lucknow News : अवैध धर्मांतरण मामले में 12 आरोपियों को उम्रकैद और 4 को 10 साल की सजा

Lucknow News : कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण मामले में बुधवार का बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में 12 आरोपियों को उम्रकैद और चार अन्य आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई गई।

Update:2024-09-11 17:01 IST

Lucknow News : कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण मामले में बुधवार का बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में 12 आरोपियों को उम्रकैद और चार अन्य आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई गई। बता दें कि एनआईए एटीएस स्पेशल कोर्ट ने एक दिन पहले ही सभी आरोपियों को दोषी पाया था।

एनआईए - एटीएस स्पेशल कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने धर्मांतरण के मुख्य सरगना मौलाना कलीम सिद्दीकी सहित सभी 16 आरोपियों को सजा सुनाई है। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 417, 120 बी, 153 ए, 153 बी, 295 ए, 121 ए, 123 और अवैध धर्मांतरण की धारा 3, 4 व 5 के तहत दोषी पाया है। 

ये दोषी करार

विशेष अदालत ने बुधवार को मौलाना कलीम सिद्दीकी, मौलाना उमर गौतम, कौसर आलम, फराज बाबुल्लाह शाह, प्रसाद रामेश्वर कोवरे उर्फ आदम, भुप्रिय बंदों उर्फ अरसलान, मुफ्ती काजमी जहागीर कासमी, इरफान सेख, सलाउद्दीन जैनुद्दीन सेख, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी और अब्दुल्लाह उमर सहित 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं, चार अन्य अब्दुल्ल मन्नान उर्फ मुन्ना यादव, राहुल भोला, मो. सलीम और आतिफ उर्फ कुणाल अशोक चौधरी को 10 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया है। 

क्या है पूरा मामला

यूपी एटीएस ने अवैध धर्मांतरण मामले और विदेशी फंडिंग के मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी सहित उसके ड्राइवर और दो साथियों को गिरफ्तार किया था। मौलाना पर देशभर में अवैध रूप से धर्मांतरण गिरोह संचालित करने का मुकदमा दर्ज किया गया था। एटीएस और एनआईए की जांच में मौलाना समेत 16 लोगों के नाम सामने आए थे। मौलाना और उसके साथियों के विरुद्ध लखनऊ स्थित एटीएस एनआईए कोर्ट में मुकदमा चलाया गया। तकरीबन 1000 लोगों का धर्मांतरण कराया गया था। इसमें बड़ी संख्या में हिंदू लड़कियों का निकाह भी मुस्लिम युवकों से कराया गया था। इसके साथ नोएडा में मूंग बधिर स्कूल के बच्चों को भी गायब करने का मामला सामने आया था।

यूपी का धर्मांतरण कानून, जानिए क्या है इसमें

बता दें कि एनआईए और एटीएस की विशेष अदालत ने अवैध धर्म परिवर्तन के मामले में 12 लोगों को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। जबकि 4 अन्य दोषियों को 10-10 साल की सज़ा सुनाई गई है। इस धर्मांतरण के सरगना मौलाना कलीम को 22 सितंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश एटीएस ने बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

- उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने धर्मांतरण कानून में कई संशोधन किए हैं, जिसके बाद इसे भारत का सबसे कठोर धर्मांतरण विरोधी कानून कहा जा रहा है।

- यूपी में 2021 में जो धर्मांतरण-विरोधी कानून पास किया गया था, उसमें गैर-कानूनी धर्मांतरण पर अधिकतम 10 साल की ही सजा का ही प्रावधान था। लेकिन नए कानून के प्रावधान कहीं ज्यादा सख्त और गैर-जमानती हैं।

- अगर गैर-कानूनी धर्मांतरण कराने का गुनहगार किसी 'विदेशी' या 'गैर-कानूनी' एजेंसी से जुड़ा है तो उसे 14 साल तक की सजा मिलेगी और 10 लाख रुपए का जुर्माना देना होगा।

- अगर कोई व्यक्ति किसी को कोई प्रलोभन देकर या उकसा कर गैर-कानूनी धर्मांतरण कराता है तो उसे 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती है।

- गैर कानूनी धर्मांतरण के दोष साबित होने पर गुनहगार को पीड़ितों को मुआवजा भी देना पड़ेगा। ऐसा जुर्माना पीड़ित के मेडिकल व्यय और पुनर्वास को पूरा करने के लिए उचित होगा। जुर्माने के अतिरिक्त ये मुआवजा अधिकतम पांच लाख रुपये तक हो सकता है।

- अब कोई भी व्यक्ति जो पीड़िता से जुड़ा है वह अवैध धर्मांतरण के खिलाफ एफआईआर करवा सकता है। पुराने कानून में इसके लिए धर्मांतरित हुए व्यक्ति या उसके माता-पिता, भाई-बहन या नजदीकी रिश्तेदार की उपस्थिति जरूरी थी।

- अवैध-धर्मांतरण के अपराध को गैर-जमानती बना दिया गया है। नए कानून में एक व्यवस्था ये है कि इन मामलों की सुनवाई अब सेशन कोर्ट से नीचे की अदालतों में नहीं होगी। सरकारी वकील को सुने बिना किसी भी जमानत अर्जी पर विचार नहीं किया जाएगा।

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